शुभ मांगलिक कार्य बंद, 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास
पटना। हिन्दू धर्मावलंबियों के खास माह खरमास कल से शुरू हो गया है। इसके साथ ही शुभ कार्यों, मांगलिक कार्यों पर महीने भर का विराम लग गया। फिर नूतन वर्ष में 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद खरमास समाप्त हो जायेगा। इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे और शुभ मांगलिक कार्य शुरू होंगे। खरमास में पितृ पिंडदान का खास महत्व है। खरमास में भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा,पाठ करने से अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जातक यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है। खरमास में किया जाए तो अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से लगता है खरमास
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचागों के हवाले से बताया कि कल रविवार को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर गए है । सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास यानी अशुद्ध मास का आरम्भ हो गया है। बनारसी पंचांग के अनुसार रविवार की सुबह 11.38 बजे सूर्य धनु राशि में प्रवेश किए वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार रविवार की सुबह 7.31 बजे सूर्य का धनु में प्रवेश किए है। उनके अनुसार मिथिला पंचांग में भद्रामुख के हिसाब से समय निर्धारित की जाती है जबकि बनारसी पंचांगों में भद्रा पूछ के अनुसार। सूर्य ही संक्रांति और लग्न के राजा माने जाते हैं। इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का द्दोतक है।
भगवान नारायण का पूजन होगा विशेष फलदायी
ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार खरमास में कोई भी शुभ मांगलिक धार्मिक आयोजन नहीं होंगे। विवाह, नये घर में गृह प्रवेश, नये वाहन की खरीद, संपत्तियों का क्रय विक्रय, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्य वर्जित होते है । खरमास 14 जनवरी 2019 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही समाप्त हो जाएगा। सूर्य, गुरु की राशि धनु एवं मीन राशि में प्रवेश करता है तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है। शुभ मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है । कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है। इसलिए इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते। खासकर इस समय विवाह संस्कार तो बिलकुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों को मजबूत होना चाहिए ।
खरमास में पिंडदान की भी व्यवस्था
पंडित झा ने मार्कण्डेय पुराण के हवाले से बताया कि वर्ष में दो बार पिंडदान के महत्व के बारे में बताया गया है। आश्विन कृष्ण पक्ष(सितंबर-अक्टूबर) के साथ पौष मास(दिसंबर) के खरमास में भी पितृदेवता का पिंडदान किया जा सकता है। इससे पितृऋण से मुक्ति मिलती है। इस मास में फल्गू नदी के किनारे पिंडदान किया जाता है।
सूर्य का राशि परिवर्तन समय
सूर्य का धनु राशि में प्रवेश का समय: रविवार, 16 दिसंबर, प्रात: 9.05 बजे
धनु राशि में कब तक रहेगा सूर्य: 14 जनवरी 2019, सोमवार रात्रि 8 बजे तक
कब बदलेगी सूर्य की स्थिति: सूर्य 14 जनवरी रात्रि 7:52 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे
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