शुभ योगों के महासंयोग में मना अंतिम सोमवारी, 20 को प्रदोष व 22 अगस्त को सावन की पूर्णिमा

पटना। शिव के प्रिय सावन मास के चौथा एवं अंतिम सोमवार पर भक्तों ने भोले बाबा के साथ-साथ मां गौरी की भी असीम कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना किए। धार्मिक मान्यता है कि सावन के सोमवारी को शिव-पार्वती एक साथ पृथ्वी पर विचरण करते हैं, इसीलिए इस दिन महादेव की कृपा बरसती है। अंतिम सोमवारी पर श्रद्धालुओं ने अपने घरों में ही अपने सामर्थ्य के अनुसार पार्थिव शिवलिंग, स्फटिक शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जलाभिषेक एवं रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का श्रृंगार कर आरती उतारी।
शुभ योगों का बना था महासंयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि सावन मास के शुक्ल पक्ष में अष्टमी एवं नवमी तिथि के संयुक्त संयोग में अंतिम सोमवारी पर शुभ योगों का महासंयोग बना था। पंचांगों के मुताबिक, सोमवार को अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म-ऐन्द्र योग के साथ रवियोग, जयद योग के अलावे अति पुण्यफलदायी सर्वार्थ सिद्धि योग का महासंयोग बना था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस नक्षत्र और योग में शिव का पूजन करने से केस-मुकदमा, कोर्ट, कचहरी में चल रहे मुकदमा से मुक्ति तथा शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। बेलपत्र पर चंदन से राम नाम लिखकर महादेव को तथा सफेद फूल व अखंड सुहाग की कामना से सुहाग की सामग्री माता गौरी की अर्पित किया गया। कुंडली में ग्रहों की दशा, महादशा से मुक्ति के लिए अंतिम सोमवारी पर शिव के महाकाल स्वरूप की पूजा के बाद आदित्य हृदयस्त्रोत्र का पाठ भी जातकों ने किया। विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए विविध पदार्थों से शिवार्चन हुआ।
शिवमय हुआ गली-मुहल्ला
अंतिम सोमवारी पर राजधानी के शिवालयों को फूल माला तथा नाना प्रकार के विद्युत बल्बों से सजाया गया था। मधुर संगीत, भजन, आरती से पूरा गली-मुहल्ला शिवमय हो गया था। मंदिरो में पंडित, पुजारियों द्वारा भोलेनाथ की विशेष पूजा कर संध्या काल में शिव के साथ शिव परिवार का मनोहारी श्रृंगार किया गया। अंतिम सोमवारी पर भक्तों का उत्साह चरम पर था। श्रद्धालु निराहार, फलाहार रह कर भोले बाबा की पूजा में लीन दिखे। पूजा के बाद विशेष मंत्रों का जाप, धार्मिक पुस्तकों का पाठ भी किया।
20 को प्रदोष व 22 को सावन की पूर्णिमा
आचार्य राकेश झा ने कहा कि सावन शुक्ल त्रयोदशी 20 अगस्त दिन शुक्रवार को श्रावण मास का प्रदोष व्रत मनाया जायेगा। वहीं श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 22 अगस्त को सावन का अंतिम दिन के साथ भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की सलामती की कामना से तिलक लगाकर उनके कलाई पर स्नेह का बंधन बांधेगी। भाई भी अपनी बहन के सुख-दु:ख में हमेशा उसके साथ खड़ा होगा। इसका प्रतिज्ञा लेगा।

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