अपने बेटे की जिंदगी की भीख मांगने को मजबूर कलामुद्दीन

सीतामढ़ी। गुरबत भी अजीब चीज है,पैसे ना हों तो जिंदगी कितनी बदरंग हो जाती है। उसका एक नमूना है ,कलामुद्दीन। नानपुर थाना क्षेत्र के नानपुर गांव का कलामुद्दीन पिछले 10-11 सालों से अहमदाबाद में सिलाई का काम करता आ रहा है। सिलाई करके अपने परिवार के लोगों को दो वक्त की रोटी दे रहा था। तब सकून की जिंदगी चल रही थी।

इसी बीच उसकी जिंदगी में एक भूचाल आया और उसकी पत्नी कैंसर की मरीज बन गई। उसके बाद उसकी जिंदगी उलझनों में कैद होने लगी। अपने ,बेगाने, रिश्तेदारों से कर्ज लेकर उसने अपनी पत्नी का इलाज कराना शुरू किया। कई साल के लंबे इलाज के बाद उसकी पत्नी इस दुनिया को छोड़ हमेशा के लिए उससे दूर चली गई।

अभी उसकी पत्नी को गए कुछ ही दिन हुए कि उसका एकलौता बेटा एहसान किडनी की बीमारी का शिकार हो गया। अब कलामुद्दीन के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारा।

छोटे-बड़े अस्पाल में इलाज कराते हुए वह अहमदाबाद के इंस्टिट्यूट आॅफ किडनी डिजीज ऐंड रिसर्च सेंटर अहमदाबाद में भी इलाज कराना शुरू करा दिया।

इस बीच उसने अपने बेटे का आयुष्मान कार्ड भी बनवाया लिया था। लेकिन अफसोस अहमदाबाद के उस रिसर्च सेंटर ने आयुष्मान कार्ड को कोई भी मान्यता नहीं दी। थोड़े बहुत जो पैसे थे उससे उसने अपने बच्चे का इलाज अहमदाबाद में करवाया।

उसे अफसोस इस बात का है कि प्रधानमंत्री का आयुष्मान भारत कार्ड का अहमदाबाद के रिसर्च सेंटर ने नहीं दिया। उसे अब अपने बेटे की जिंदगी दांव पर लगती दिख रही है। 11 साल का एहसान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने जिंदगी की भीख मांग रहा है।

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