10 लाख नौकरी के वादे को ध्यान भटकाने के लिए, शिक्षक की नई भर्ती प्रक्रिया लाई गई : सुशील मोदी

पटना। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी के वादे को लेकर जमकर निशाना साधा है। वही उन्होंने कहा कि यह वादा सिर्फ एक धोखा है। सुशील मोदी ने कहा कि जिन्होंने कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। वे 9 माह में एक आदमी को भी नौकरी नहीं दे पाए। वही दूसरी तरफ पहले से नियुक्त लोगों को दोबारा नियुक्ति-पत्र बाँटने का फोटो-सेशन करा कर धोखा देने की कोशिश की गई। वही उन्होंने कहा कि 10 लाख नौकरी के वादे से ध्यान भटकाने के लिए अब नई नियमावली के तहत BPSC परीक्षा के माध्यम से 1.78 लाख नये स्कूली शिक्षकों की भर्ती का सपना दिखाया जा रहा है। जिस शिक्षक भर्ती का ढिढोरा पीटा जा रहा है। उसे लागू करने के लिए लगभग 11000 करोड़ रुपये से अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। जबकि, इसके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया।

वही आगे सुशील मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि जब सरकार के शिक्षकों को महीनों तक वेतन और विश्वविद्यालय शिक्षकों को पेंशन नहीं दे पाती तब नये शिक्षकों को वेतन कहाँ से देगी? क्या उन्हें भी वेतन के लिए महीनों प्रतीक्षा करनी पड़ेगी? 4 लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनाने और 7वें चरण की भर्ती का इंतजार करते हजारों सुपात्र अभ्यर्थियों को अवसर दिये बिना नई नियमावली से शिक्षकों की भर्ती करने पर अड़े रहना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। आगे उन्होंने कहा कि नई भर्ती के बाद किसी भी विद्यालय में हर विषय के लिए दो तरह के शिक्षक होंगे और उनके मासिक वेतन में 5 हजार से 13 हजार रुपये तक का बड़ा अंतर होगा। सरकार समान काम के लिए अलग-अलग वेतनमान देकर शिक्षकों को लड़ाना चाहती है। इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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