सर्व पापों को हरने वाली जयंती योग में जन्माष्टमी 30 अगस्त को

  • गृहस्थ व वैष्णव जन एक ही दिन मनाएंगे श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव

पटना। कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष को अर्धरात्रि व्यापनी अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में 30 अगस्त (सोमवार) को मनायी जाएगी। इस दिन मध्यरात्रि में लड्डू गोपाल भगवान के साथ माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा की भी पूजा-अर्चना प्रीतिपूर्वक किया जायेगा। भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत, गंगाजल, इत्र से अभिषेक, स्नान आदि कराकर नए वस्त्र, केसर युक्त चंदन, सुगंधित फूल माला, धूप-दीप अर्पित कर माखन-मिश्री, ऋतुफल, विविध प्रकार के मिष्ठान व धनिये की पंजीरी का भोग लगाकर अपने कान्हा की आरती उतारेंगे। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। भविष्य पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य एवं कलह नहीं होते है। व्रत के प्रभाव से श्रद्धालु को सांसारिक सुख के साथ विष्णु लोक में निवास पाता है।
द्वापर के योग में इस वर्ष की जन्माष्टमी
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि इस बार जन्माष्टमी वृष राशि के चंद्रमा की साक्षी में सर्व पापों को हरने वाली जयंती योग, कौकिल करण, रोहिणी नक्षत्र के साथ अतिपुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी। अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र तथा दिन सोमवार तीनों का एक साथ मिलना अत्यंत दुर्लभ व अतीव पुण्यकारक रहेगा। संतान सुख, वैवाहिक सुख, प्रेम की प्रगाढ़ता, सुख-समृद्धि, शांति, उन्नति, आपसी सद्भावना की कामना से इस दिन बाल कृष्ण की पूजा श्रेयस्कर होगी। जन्माष्टमी पर जयंती योग एवं वृष लग्न होने से यह व्रत और भी पुण्य फलदायी हो गया है। इस योग में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा एवं व्रत करने से तीन जन्म के पापों से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने बताया कि रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह उच्च राशि में है। जिस प्रकार के योग में भगवान श्रीकृष्ण का द्वापर युग में प्राकट्य हुआ था, वैसे योग में 30 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
समृद्धि व सिद्धि कारक है जन्माष्टमी
पंडित झा ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का होना विशेष शुभ माना जाता है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ है। इस नक्षत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण का पूजन सुख-शांति तथा समृद्धि देने वाला माना गया है। साधना तथा नवीन वस्तुओं की खरीदी के मान से भी यह दिन सर्वोत्तम है। जन्माष्टमी पर सोमवार दिन, कौकिल करण तथा जयंती योग के होने से अति युग्म संयोग बना है। यह योग शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाला माना जाता है। कई वर्षों के बाद गृहस्थ व वैष्णवजन दोनों 30 अगस्त को ही श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव मनाएंगे।
रोहिणी नक्षत्र होने बढ़ गई महत्ता
पंडित झा ने धर्मशास्त्र का आशय देते हुए कहा, भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में हुआ था। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी में इसका विशेष महत्व माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी को उदार, मधुर, मनमोहक और शुभ नक्षत्र माना जाता है। रोहिणी शब्द विकास, प्रगति का सूचक है।
मनोकामना पूर्ति के लिए ये करें अर्पित
– धन एवं वंश वृद्धि के लिए पीत पुष्प में इत्र लगाकर अर्पण करें
– वैवाहिक तथा न्यायिक कार्य में सफलता के लिए हल्दी एवं केसर चढ़ाएं
– स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए गुड़ से निर्मित खीर व हलवा का भोग लगाएं
– सौंदर्य तथा निरोग काया की प्राप्ति के लिए माखन एवं दूध से बनी वस्तु का भोग लगाएं
इसका करे पाठ और जाप
पाठ- गोपाल सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम
मंत्र- श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।।

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