बिहार में शिक्षा अधिकार कानून का क्रियान्वयन मात्र 11 प्रतिशत ही

  • राइट टू एजुकेशन फोरम का प्रांतीय सम्मेलन आयोजित

पटना। राजधानी पटना के जमाल रोड स्थित बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ कार्यालय में राइट टू एजुकेशन फोरम की ओर से गुरुवार को प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में फोरम से जुड़े राज्य के 20 से अधिक जिलों के समन्वयक और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में शिक्षा अधिकार कानून का क्रियान्वयन, विस्तार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विस्तार से चर्चा की गयी। वक्ताओं ने कहा कि हमें इस शिक्षा नीति को सामाजिक कार्यकर्ता के नजरिए से देखने की जरूरत है। नीति में जो खामियां हैं, हमें उसे उजागर कर समाज और नीति निर्धारकों तक पहुंचाने के लिए पहल करनी चाहिये।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए फोरम बिहार के प्रांतीय संयोजक डॉ. अनिल कुमार राय ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता बच्चों को पढ़ाना-लिखाना नहीं है, पर नागरिकों की यह सबसे बड़ी आवश्यकता है। ऐसे में हमें पहल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून 2009 का क्रियान्वयन बिहार में मात्र 11 प्रतिशत ही हो पाया है। जबकि इस कानून को लागू हुए 12 वर्ष हो चुके हैं।
वहीं कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बिहार बाल आवाज मंच के संरक्षक उदय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई विवादास्पद पहलू हैं, जिन पर विचार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में वर्तमान विषय को डालने पर ज्यादा जोर दिया गया है। इसमें एतिहासिक पहलूओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।
कार्यक्रम में डायट के पूर्व प्राचार्य डॉ. जी शंकर ने डिजिटलाइजेशन और शिक्षा अधिकार पर अपनी बातें रखीं। सम्मेलन में मुख्य रूप से शिक्षा शास्त्री अक्षय कुमार, वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता विनोद रंजन, सुरेन्द्र कुमार, रंजीत, डॉ. गंगासागर दीनबंधु, दिनेश कुमार सहित कई जिलों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन फोरम के बिहार प्रांतीय सहसंयोजक राजीव रंजन ने किया।

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