December 12, 2024

भागलपुर के सुलतानगंज रेलवे स्टेशन नाम बदलेगी बिहार सरकार, सम्राट चौधरी ने किया बड़ा ऐलान

भागलपुर/पटना। बिहार के भागलपुर जिले के सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “अजगैबीनाथ धाम” रखने की दिशा में बिहार सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सोमवार को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान इस महत्वपूर्ण घोषणा की। वर्षों से इस क्षेत्र के स्थानीय लोग, धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग, पंडा समाज और जूना अखाड़ा समिति इस मांग को लेकर आवाज उठा रहे थे। उनका मानना है कि सुलतानगंज, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, का नाम बदलने से क्षेत्र के आध्यात्मिक पहचान को और मजबूती मिलेगी। सुलतानगंज का अजगैबीनाथ धाम उत्तर भारत का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यह धार्मिक पर्यटन का केंद्र भी माना जाता है। श्रावण के महीने में लाखों श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर से जल भरकर पैदल यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड तक की यात्रा करते हैं। अजगैबीनाथ मंदिर के नाम पर इस रेलवे स्टेशन का नामकरण किए जाने से इस क्षेत्र के धार्मिक महत्व को और अधिक सम्मान मिलेगा। स्थानीय पंडा समाज और जूना अखाड़ा समिति के अनुसार, सुलतानगंज का पुराना नाम “अजगैबीनाथ धाम” था, जो यहां की प्राचीनता और पौराणिकता को दर्शाता है।
लंबे समय से चली आ रही मांग
सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग करीब 2007 से की जा रही है। स्थानीय लोगों, धार्मिक संगठनों और जूना अखाड़ा समिति का यह मानना रहा है कि इस स्टेशन का नाम अजगैबीनाथ धाम किया जाना चाहिए, ताकि इस धार्मिक स्थल की पहचान को पुनः स्थापित किया जा सके। धार्मिक आयोजन के दौरान इस स्थान पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और नाम बदलने से यहां के धार्मिक महत्व को और अधिक मान्यता मिलने की संभावना है।
नगर परिषद द्वारा प्रस्ताव और बिहार सरकार की भूमिका
सुलतानगंज नगर परिषद ने इस साल जून महीने में एक प्रस्ताव पारित कर सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “अजगैबीनाथ धाम” रखने का सुझाव राज्य सरकार को भेजा था। अब इस प्रस्ताव को बिहार सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर आगे भारत सरकार के रेलवे मंत्रालय को भेजने की योजना बनाई है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि बिहार सरकार इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द रेलवे मंत्रालय तक पहुँचाएगी, ताकि इसे आधिकारिक रूप से लागू किया जा सके। सम्राट चौधरी ने यह भी बताया कि बिहार सरकार ने इस क्षेत्र में विकास के कई कार्य किए हैं, जिनमें पुल, सड़क और धर्मशाला का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहा कि नाम परिवर्तन से इस धार्मिक स्थल का महत्व और अधिक बढ़ेगा, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
अन्य राज्यों के नाम बदलने के उदाहरण
सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का यह निर्णय देश के अन्य राज्यों में हुए ऐसे निर्णयों के अनुरूप है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में “मुगलसराय जंक्शन” का नाम बदलकर “पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन” रखा गया था। इसी प्रकार, “इलाहाबाद” का नाम बदलकर “प्रयागराज” किया गया। इन नाम परिवर्तन की घटनाओं ने बिहार में भी ऐसी मांगों को प्रेरित किया है। अब बिहार में सुलतानगंज जैसे स्टेशन का नाम बदले जाने की मांग बढ़ती जा रही है, और इसके पीछे मुख्य तर्क यह है कि यह नाम परिवर्तन धार्मिक महत्व को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।
नाम परिवर्तन से संभावित लाभ
सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम करने से क्षेत्र की धार्मिक पहचान को बल मिलेगा। यह न केवल स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगा, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी सुदृढ़ करेगा। अजगैबीनाथ धाम के नाम पर स्टेशन का नामकरण होने से यहां आने वाले यात्रियों को स्टेशन पर ही इस धार्मिक स्थल के महत्व का बोध होगा, जो यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को उजागर करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके अलावा, नाम बदलने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
राजनीतिक दृष्टिकोण और सरकार का निर्णय
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की इस घोषणा के बाद, बिहार सरकार का यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्तमान में, देश के अन्य हिस्सों में भी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थलों का नाम बदलकर उनके प्राचीन धार्मिक या सांस्कृतिक पहचान को पुनः स्थापित करने का चलन है। बिहार सरकार का यह निर्णय इस चलन के अनुरूप ही है और इसके जरिए सरकार उन लोगों की भावनाओं का सम्मान कर रही है, जो वर्षों से इस बदलाव की मांग कर रहे हैं। बिहार के भागलपुर जिले में स्थित सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “अजगैबीनाथ धाम” करने की मांग लंबे समय से चली आ रही थी। स्थानीय लोग और धार्मिक संगठनों की इस मांग को बिहार सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया है, और अब यह प्रस्ताव रेलवे मंत्रालय को भेजने की तैयारी हो रही है। नाम परिवर्तन का यह कदम धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से एक सकारात्मक पहल है। बिहार सरकार का यह प्रयास न केवल स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगा, बल्कि इससे क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी बढ़ेगा, जिससे आने वाले समय में पर्यटन को बल मिलने और आर्थिक उन्नति की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

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