पटना में 18 मई को होगी महागठबंधन की चौथी बैठक, बनेगी आगामी रणनीति, सीट शेयरिंग पर फंसा पेंच

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। एक ओर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार एनडीए घटक दलों के साथ बैठक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन में भी बैठकों का दौर जारी है। अब तक महागठबंधन की तीन अहम बैठकें हो चुकी हैं और चौथी महत्वपूर्ण बैठक 18 मई को पटना में होने जा रही है। इस बैठक को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस की ओर से तैयारियां जोरों पर हैं। सूत्रों की मानें तो यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसमें सीट बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। बैठक में ‘इंडिया’ गठबंधन से जुड़े सभी प्रमुख दलों के नेता शिरकत करेंगे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के बैठक में शामिल होने की संभावना है। गौरतलब है कि इससे पूर्व महागठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन इनमें सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर कोई ठोस सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि, पिछली बैठक जो 4 मई को हुई थी, उसमें यह तय किया गया था कि महागठबंधन के सभी दल बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसके तहत सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाने का निर्णय हुआ था। 18 मई को होने वाली बैठक में सीट बंटवारे के फार्मूले पर अंतिम मुहर लग सकती है। साथ ही चुनावी प्रचार अभियान की रूपरेखा, मीडिया और जनसंपर्क की रणनीति तथा प्रचार के लिए फंड आवंटन पर भी चर्चा की जाएगी। महागठबंधन के अंदर बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इन बैठकों को नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु गुरुवार को पटना पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्होंने भारत द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम में जिस तरह निर्दोष लोगों की हत्या हुई, उसके विरोध में सरकार जो भी निर्णय लेगी, कांग्रेस और महागठबंधन पूरी तरह उसके साथ खड़े हैं। महागठबंधन की यह बैठक न केवल सीट बंटवारे को लेकर दिशा तय करेगी, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगी कि महागठबंधन किस रूप में जनता के सामने जाएगा—एक मजबूत विकल्प या अंदरूनी खींचतान से जूझता गठबंधन। अब सभी की निगाहें 18 मई की बैठक पर टिकी हैं, जो बिहार की राजनीतिक दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।
