रैंचिंग कार्यक्रम से मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन में मिलेगी मदद : उपमुख्यमंत्री

* राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम- 2022 का शुभारंभ
* एनआईटी घाट पर गंगा नदी में इंडियन मेजर कॉर्प प्रजाति की अंगुलिकाओं को छोड़ा गया


पटना। पटना के एनआईटी घाट पर गंगा नदी में राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम 2022 का शुभारंभ उपमुख्यमंत्री-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया। इस मौके पर गंगा नदी में इंडियन मेजर कॉर्प प्रजाति की अंगुलीकाओं को छोड़ा गया।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी में भारतीय मेजर कॉर्प की प्रचुरता को बढ़ाने और संरक्षण के लिए मत्स्य संसाधनों का संरक्षण और मत्स्य जातियों का पुनरुद्धार एक उत्कृष्ट उपाय है। इस दिशा में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत आईसीएआर- केंद्रीय अंतर्राष्ट्रीय मत्स्यीकी अनुसंधान संस्थान निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा की मछलियों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम एक बेहतरीन पहल है, जिसके अंतर्गत देश के चयनित राज्यों में इंडियन मेजर कॉर्प प्रजातियों की रैंचिंग की जा रही है। रैंचिंग कार्यक्रम से नदियों में मत्स्य पालन के संरक्षण और बहाली में मदद मिलेगी तथा बड़ी संख्या में मछुआरों को आजीविका के साधन प्राप्त होंगे।
उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के इस कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गंगा नदी में 48 लाख से अधिक इंडियन मेजर कॉर्प प्रजातियों की अंगुलिकाएं छोड़ी गई हैं। इससे मत्स्य जैव विविधता संरक्षण और गंगा नदी पर निर्भरशील मछुआरों की आजीविका सुनिश्चित होगी, साथ ही इससे गंगा नदी के प्रदूषण स्तर में भी कमी आएगी।
उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गंगा में मत्स्य प्रजातियों की संख्या 271 से घटकर 190 हो गई है। साथ ही, शहरीकरण के कारण घरेलू कचड़े और औद्योगिक इकाईयों से प्रवाहित रासायनिक तत्वों से नदी की पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता पूरी तरह से प्रभावित हुई है। रैंचिंग कार्यक्रम के शुरू होने से मछुआ समाज के लोगों को जीविकोपार्जन और गंगा नदी की जैव विविधता अक्षुण्ण रह सकेगी।

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