ED का ‘आपरेशन भ्रष्टाचार’ : बिहार में रेलवे इंजीनियर की 3.5 करोड़ की संपत्ति जब्त, खुद बताया कैसे खेला खेल

पटना। ईडी का ‘आपरेशन भ्रष्टाचार’ जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्रवाई से पूरे बिहार में हड़कंप मचा हुआ है। इस बार ईडी के शिकंजे में आए हैं जमालपुर में पदस्थापित रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव। ईडी के पटना अंचल कार्यालय ने प्रिवेंशन आफ मनी लाड्रिंग एक्ट में किए प्रविधानों के तहत चंद्रेश्वर प्रसाद पर सीबाआइ द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर कार्रवाई प्रारंभ की। ईडी ने रेलवे का स्क्रैप बेचने के मामले में पूर्व रेलवे जमालपुर के तत्कालीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया था। अब ईडी ने रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव की करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली है। यह संपत्ति चंद्रेश्वर प्रसाद, उनकी पत्नी उर्मिला देवी, पुत्र भारत भूषण व शशि भूषण के नाम पर खरीदी गई थी। चंद्रेश्वर प्रसाद ने पत्नी के नाम गर्दनीबाग पटना में मकान, महनार, दलसिंहसराय और हाजीपुर में जमीन के प्लाट भी खरीद थे। उन्होंने अपने काले धन को छिपाने के लिए तमाम कवायद की, लेकिन वे ईडी के नजर से बच नहीं पाए।
चंद्रेश्वर प्रसाद पूर्वी रेलवे कार्यालय जमालपुर के कबाड़ वैगन कार्यशाला में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के रूप में एक जनवरी 2013 से 31 दिसंबर 2017 तक पदस्थापित रहे। यहां पदस्थापन के दौरान इन्होंने अपने और परिवार के नाम पर चल-अचल दोनों प्रकार की संपत्ति अर्जित की, जो उनके आय के स्रोतों से करीब ढ़ाई करोड़ रुपये ज्यादा की थी। जांच के दौरान प्रसाद इस संपत्ति का कोई हिसाब-किताब नहीं दे पाए। जांच में उन्होंने स्वीकार किया कि महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार के साथ खराब हो चुके रेलवे वैगन और फिटिंग स्क्रैप का गबन करने एवज में उन्हें देवेश कुमार से काफी राशि मिली। यह राशि उनके और स्वजनों के बैंक खातों में जमा की गई या उसका निवेश किया गया। इन्होंने अपने काले धन का छिपाने के लिए यह तमाम कवायद की। जांच में जुर्म साबित होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी 3.44 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली।
गौरतलब है कि ईडी ने रेलवे का स्क्रैप बेचने के मामले में पूर्व रेलवे जमालपुर के तत्कालीन सीनियर सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में मेसर्स श्री महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार को 13 अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अभियुक्तों पर आरोप है कि रेलवे के स्क्रैप (रेल वैगन का पुराना हिस्सा) को मोटी रकम लेकर महारानी स्टील को औने-पौने दाम में बेच दिया था। इसके कारण रेलवे को लगभग 34 करोड़ रुपये का चूना लगा था। उक्त स्क्रैप के कस्टोडियन तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर चंद्रेश्वर प्रसाद यादव ही थे। इस मामले में कंपनी के फाइनांसर राकेश कुमार ने बताया था कि उक्त स्क्रैप को खरीदने के लिए रेलवे के पदाधिकारियों को मोटी रकम दी गयी थी। इस मामले में सीबीआइ ने भी नौ फरवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था और जांच चल रहा है। ईडी ने इस मामले को 28 फरवरी, 2020 में दर्ज की थी। पूछताछ के बाद तत्कालीन सेक्शन इंजीनियर चंदेश्वर प्रसाद यादव व मेसर्स महारानी स्टील के मालिक देवेश कुमार के नाम सामने आये थे और फिर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।


एक नजर चल-अचल संपत्ति पर
* अचल संपत्ति – 1.19 करोड़
* सात म्युचुअल फंड में निवेश -35.85 लाख
* चार इंश्योरेंस पालिसी -7.97 लाख
* 29 फिक्स डिपाजिट – 1.64 करोड़
* विभिन्न बैंक खातों में जमा राशि – 17.25 लाख
* पत्नी और बच्चों के नाम खरीदी थी चल-अचल संपत्ति
* स्वजनों के खातों में भी भेजे गए पैसे

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