बेंच डेस्क खरीदारी अनियमितता मामले में शिक्षा विभाग ने चार अधिकारियों को किया निलंबित, जांच के दिए आदेश

पटना। बिहार के शिक्षा विभाग में हाल ही में वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। इन अनियमितताओं के कारण विभाग ने किशनगंज जिले के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ इस समय एक्शन में हैं। उन्होंने बेंच डेस्क की खरीदारी में गड़बड़ी पाए जाने पर यह कदम उठाया है। निलंबित अधिकारियों में किशनगंज के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) मोतीउर रहमान, डीईओ (प्राथमिक शिक्षा) सूरज कुमार झा, पूर्व डीईओ और वर्तमान में गोपालगंज के डीईओ सुभाष कुमार गुप्ता और डीईओ (स्थापना) राजेश कुमार सिन्हा शामिल हैं। इन अधिकारियों को प्रमाणित आरोपों की जांच पूरी होने तक के लिए निलंबित किया गया है। शिक्षा विभाग ने बताया कि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान बरती गई अनियमितताओं की विस्तृत जांच की गई थी। उप विकास आयुक्त किशनगंज की अध्यक्षता में गठित जांच दल ने 19 जून 2024 को संयुक्त जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस प्रतिवेदन के अनुसार, किशनगंज जिले में बेंच डेस्क योजना, विद्यालय जिर्णोद्धार एवं प्री-फैब स्ट्रक्चर निर्माण, आईसीटी लैब की स्थापना, नाईट गार्ड की बहाली, पेय जल योजना और हाउसकीपिंग योजना के तहत वेंडर के चयन और भुगतान में बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी की गई और वित्तीय अनियमितता तथा सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ। शिक्षा विभाग ने इन आरोपों के खिलाफ चारों अधिकारियों को निलंबित किया है। निलंबन अवधि के दौरान सभी अधिकारियों को क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, पूर्णिया प्रमंडल, पूर्णिया के कार्यालय में तैनात किया गया है। निलंबन अवधि में सभी को अनुमान्य जीवन निर्वाह भत्ता मुख्यालय से देय होगा। आरोप पत्र और विभागीय कार्यवाही का संकल्प विभाग अलग से जारी करेगा। शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई विभाग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम के रूप में देखी जा रही है। इससे पहले भी विभाग ने कई योजनाओं में अनियमितताओं की जांच कराई थी, लेकिन इस बार के मामले में स्पष्ट वित्तीय अनियमितता और सरकारी राशि के दुरुपयोग के प्रमाण मिले हैं। डॉ. एस. सिद्धार्थ की सख्त निगरानी और कठोर कदमों के चलते शिक्षा विभाग में सुधार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में पारदर्शिता और सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की कार्रवाई जरूरी है। निलंबित अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
