अपनी ही सरकार पर भाकपा माले ने उठाया सवाल, कहा- शिक्षक नियुक्ति को लेकर झूठ बोल रहे हैं CM, हम से नहीं ली गई कोई सलह

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षक नियुक्ति को लेकर लोगों के सामने झूठ बोल रहे हैं। उनकी सरकार को समर्थन दे रही पार्टी भाकपा माले ने ही नीतीश कुमार की पोल खोल दी है। वही आगे माले ने नीतीश कुमार के दावे को गलत करार दिया है। दरअसल, नीतीश कुमार ने ये दावा किया है कि बिहार में शिक्षक नियुक्ति को लेकर बनी नयी नियमावली को उन सभी 7 पार्टियों का समर्थन है, जो महागठबंधन की सरकार चला रही है। शुक्रवार को नीतीश कुमार ने JDU के एक कार्यक्रम में शिक्षक नियुक्ति पर बोलते हुए कहा की अब हमने तय कर दिया है, हम सब लोगों ने मिल कर के। सात पार्टी एक साथ हैं। मिलकर के हम लोगों ने तय कर दिया है कि आगे जो बहाली करेंगे…फिर सरकारी बहाली कर देंगे. यानि बिहार के CM ने ये दावा किया कि नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर उन सभी दलों की सहमति है, जो सरकार का साथ दे रहे हैं। इसमें राजद, जेडीयू, कांग्रेस, भाकपा(माले), CPI, CPM और हम पार्टी शामिल हैं।
माले ने खोली नीतीश की पोल
लेकिन एक दिन बाद ही भाकपा(माले) ने नीतीश कुमार के दावों की पोल खोल दी है। भाकपा के 12 विधायक हैं जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं। माले की ओर से शिक्षकों का मामला देखने वाले विधायक संदीप सौरभ ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये पूरी तरीक से गलत बात है। हमारी पार्टी भाकपा महागठबंधन का प्रमुख घटक दल है। हमारे 12 विधायक हैं। लेकिन हमारी पार्टी ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर कोई बातचीत नहीं हुई। वही आगे माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा की मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि शिक्षक नियुक्ति नियमावली में ये जो क्लाउज लाया गया है कि पुराने शिक्षकों को BPSC की परीक्षा पास करने के बाद राज्यकर्मी बनाया जायेगा, इस पर हमारी पार्टी से कोई बात नहीं की गयी। हमसे कभी सहमति नहीं ली गयी। विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि जब शिक्षक नियुक्ति नियमावली तैयार हो रही थी तो उनकी पार्टी ने राज्य सरकार को लिखित तौर पर ज्ञापन सौंपा था कि सारे नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे। इसमें BPSC से परीक्षा लेने जैसी कोई शर्त की बात ही नहीं थी। हमने मांग की थी कि नियोजित शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग की जाये जो कई सालों से फाइलों में दबी हुई है।

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