बिहार नगर निकाय चुनाव की याचिका पर देश की बड़ी अदालत में हुई सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट बोली- दो हफ्ते में जवाब दे राज्य सरकार
पटना। बिहार में पिछले महीने नगर निकाय चुनाव हुआ है और नए चुने गए जनप्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारी भी संभाल ली है। हालांकि इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बिहार सरकार की ओर से इस मामले पर जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा गया। जिसको कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को किसी भी हाल में दो हफ्ते में जवाब देना होगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में आज निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर सुनवाई हुई। बिहार में निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से गठित अति पिछड़ा वर्ग आयोग की योग्यता पर फैसला होना है। दरअसल पटना हाईकोर्ट की तरफ से निकाय चुनाव पर रोक लगाने के बाद बिहार सरकार की तरफ से अक्टूबर में अति पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया गया। दो महीने के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दी। जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने नए डेट की घोषणा की थी। दिसंबर माह में ईबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई होनी थी। उम्मीद थी चुनाव से पहले कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। लेकिन कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख निश्चित कर दी। इस बीच बिहार में दो चरणो में प्रदेश में बड़े हिस्से में चुनाव संपन्न करा दिए गए। अब अगर कोर्ट चुनाव को अवैध घोषित करती है, सभी चुने गए नए जनप्रतिनिधियों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है।
बता दें कि पटना हाईकोर्ट की तरफ से निकाय चुनाव पर रोक लगाने के बाद बिहार सरकार की तरफ से अक्टूबर में अति पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया गया। दो महीने के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दी। इससे पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को डेडिकेडेट मानने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार उसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने की अनुशंसा कर दी। अनुशंसा मिलते ही निर्वाचन आयोग ने नए डेट की भी घोषणा कर दी गई है और चुनाव करा लिए गए। रिपोर्ट के बाद भी केवल चुनाव की डेट बदली, इसके अलावा कुछ नहीं बदला। हाईकोर्ट ने कहा था कि अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 20% आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें। लेकिन निर्वाचन आयोग की तरफ से बस चुनाव की तिथि को बदला गया। इसके अलावा किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। न हीं आरक्षण की स्थिति में और न ही अलग से नोटिफिकेशन जारी किया गया है। अब दो हफ्ते बाद इस मामले पर फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। 18 दिसंबर और 28 दिसंबर को नगर निकाय का चुनाव हो गया। 30 दिसंबर को इसके रिजल्ट भी आ गए। चुने गए जनप्रतिनिधियों ने शपथ लेकर अपने काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट में चुनाव से संबंधित मामले की सुनवाई होनी है।