मुख्यमंत्री बताएं की यूपीएससी में बिहारी अभ्यर्थियों की सफलता में यहां की शिक्षा व्यवस्था का क्या योगदान है : सुधाकर सिंह

पटना। बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुए बिहारी छात्रों के सफल होने में बिहार की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का कितना योगदान है। हर साल की भांति इस साल भी बिहार के छात्र-छात्राओं का यूपीएससी की परीक्षा में विपरीत परिस्थितियों में अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। परन्तु, क्या यूपीएससी की परीक्षा में बिहार के छात्र-छात्राओं की सफ़लता, बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मापने का पैमाना हो सकता है। जवाब है नहीं। बिहार एक मात्र ऐसा राज्य है जहां तीन साल का स्नातक चार से पांच साल में और दो साल का स्नातकोत्तर तीन से चार साल में पूरा किया जाता है। विलंबित सत्र की वजह से हर साल न्यूनतम 15 लाख छात्र प्रभावित होते हैं और यह समस्या दशकों से है। परिणामस्वरूप, बिहार के छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं। उन्होंने अपने अंदाज में बिहार के मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि यहां केवल शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री बताएं कि यहां पर 3 साल का रिजर्वेशन आखिर 5 सालों में क्यों पूरा कराया जाता है। विश्वविद्यालयों में सत्र निलंबित होने पर आज तक क्या कार्रवाई की गई। कितने अधिकारियों को इसके लिए निलंबित किया गया। आज बिहार के अभ्यर्थियों ने यूपीएससी में अपार सफलता प्राप्त किया है लेकिन मुख्यमंत्री यह बताएं कि उनकी सफलता में आखिर बिहार की शिक्षा व्यवस्था में क्या योगदान दिया है। जहां पर 3 सालों का ग्रेजुएशन 5 सालों में पूरा कराया जाता हूं वहां के बच्चे एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
सुधाकर बोले, बिहार की खराब शिक्षा व्यवस्था यहां केवल बड़े पैमाने पर मजदूर पैदा कर रही है
बिहार राज्य की करीब 32 फीसदी आबादी 16-17 के आयु वर्ग की है और इसका सिर्फ 44.07 फीसदी हिस्सा ही माध्यमिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा की तरफ जाता है, जबकि प्राथमिक से माध्यमिक में स्थानांतरित होने वाले बच्चों का प्रतिशत 84.64 है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की बहुत बड़ी आबादी बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के श्रम बल में तब्दील हो रही है। अगर इसको संक्षेप में बोला जाए तो बिहार मज़दूरपैदा कर रहा है। बिहार में शिक्षा के बदहाली के बावजूद बिहार के छात्र दूसरे राज्यों से तैयारी कर इतना सफलतम परिणाम लाते हैं तो जरा सोचिए कि युवाओं को बिहार में अच्छी शिक्षा व्यवस्था मिले तो राज्य का कितना विकास होगा। इसके अलावा एक दूसरा पहलू भी है। राज्य के महत्वपूर्ण संसाधन छात्रों के रहन-सहन और शिक्षण शुल्क मद में प्रति वर्ष करीब अस्सी हज़ार करोड़ रुपये का राज्य के बाहर पूंजी पलायन भी हो रहा है। साथ ही राज्य से एक बार बाहर निकल जाने पर प्रतिभाशाली छात्र वापस बिहार नहीं के बराबर लौटते हैं, जिसका खामियाजा राज्य के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

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