समरक्त विवाहों से होती हैं बच्चों में आनुवंशिक बीमारियां, व्यापक शोध में योगदान दे सरकार : प्रो. प्रमोद इंगले

नई दिल्ली। समरक्तता अथवा सगोत्रता दो रक्त संबंधित व्यक्तियों के बीच विवाह के रूप में परिभाषित किया जाता है, यानी ऐसा विवाह जो दो रिश्तेदारों के बीच में हुआ है। वैश्विक आबादी के एक अरब से अधिक लोग ऐसे समुदायों में रहते हैं, जहां समरक्त वैवाहिक एक पारंपरिक और सम्मानित सामाजिक प्रथा है। भारत में भी कई ऐसे समुदाय, जातियां और राज्य हैं जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जहां लगभग 2,000 वर्षों से समरक्त विवाहों का प्रचलन है। कई मध्य पूर्वी, दक्षिण और पश्चिम एशियाई और उप-सहारा अफ्रीकी समाजों की सुरक्षात्मक और अर्ध-सुरक्षात्मक संस्कृतियों के संदर्भ में ऐसे विवाह अधिक महत्व रखते हैं। कई रिपोर्टों से पता चला कि इन क्षेत्रों में समरक्त विवाह की व्यापकता लगभग 7% से लेकर 65% से अधिक है। भारत की अग्रणी प्रयोगशाला जेनरल डायग्नोस्टिक के शोधों के अनुसार समरक्त माता-पिता से पैदा संतानों में मानसिक मंदता, आॅटोसोमल रिसेसिव विकारों, जन्मजात विसंगतियों, बहुक्रियात्मक जटिलताएं, हृदय संबंधी विकार, मधुमेह और जननांग अस्पष्टता की अधिक संभावना होती है। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए जेनरल डायग्नोस्टिक्स ने सरकार से अपील की है कि वह अनुवांशिक बिमारियों पर व्यापक शोध में योगदान दे और देश को समरक्त विवाहों से जुड़े जोखिम के बारे में जागरूक बनाने में मदद करे।
जेनरल डायग्नोस्टिक्स के लैब डायरेक्टर और बायोकैमिकल जेनेटिक्स के एक्सपर्ट प्रो. डॉ. प्रमोद इंगले कहते हैं, “भारत पुरानी सामाजिक सांस्कृतिक प्रथाओं के साथ सीमित संसाधन वाला एक बड़ी आबादी वाला देश है, जहां आमतौर पर संक्रामक और संचारी रोग से संबंधित मृत्यु दर पर ही सब की नजर होती है और ऐसे आनुवंशिक रोग पर ध्यान नहीं जाता है, जो समरक्त विवाहों से प्रजनित बच्चो में पाए जाते हैं। भारत ने बड़े तौर पर अभी तक कोई आनुवंशिक परामर्श सेवा और लैब टेस्ट्स शुरू नहीं की है। जेनरल डायग्नोस्टिक्स में हमने भारत भर के 5 लाख से अधिक बच्चों का परीक्षण कई आनुवंशिक विकारों के लिए किया है और जिसमें पाया कि कई पॉजिटिव पाए गए बच्चों के माता-पिता समरक्त, यानी रिश्तेदार थे।”
भारत के कई समुदाय गहन धार्मिक भावनाओं और सामाजिक बंधन के साथ एक अर्ध-रूढ़िवादी सामाजिक संरचना को बढ़ावा देते हैं। देश में समरक्त विवाहों से जुडी जोखिमों की जानकारी बड़े पैमाने पर जनता के लिए उपलब्ध नहीं है।

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