PATNA : किलकारी बाल भवन के बच्चों ने बनाया हर्बल गुलाल, फूल का रस व कच्ची हल्दी का किया जा रहा हैं इस्तेमाल

पटना। राजधानी पटना में होली को खास बनाने के लिए बच्चों द्वारा रंग-बिरंगे गुलाल तैयार किए जा रहे हैं। बता दे की ये सारे गुलाल हर्बल हैं, जिन्हें फूल और हल्दी जैसे प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। वही इन हर्बल गुलाल को पटना के किलकारी बाल भवन के बच्चों ने खुद अपने हाथों से बनाया है। गुलाल बनाने वाली टीम में 6 सीनियर बच्चे हैं। वही जिनके साथ कुछ छोटे बच्चे और दिव्यांग बच्चे भी हैं। नेचुरल कलर का इस्तेमाल कर और दूसरा फूड कलर का इस्तेमाल कर बनाया जाएगा। बच्चों द्वारा नेचुरल कलर में 3 तरह के गुलाल बनाए जा रहे। पीले रंग का गुलाल बनाने के लिए कच्ची हल्दी, गुलाबी रंग का गुलाब बनाने के लिए चुकंदर का रस और हरे रंग का गुलाल बनाने के लिए पालक के रस का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं फूड कलर से 7 तरह के गुलाल तैयार किए जा रहे। वही इसमें अरारोट में फूड कलर, गुलाब जल और अभ्रक को मिक्स कर गुलाबी, लाल, पीला, नारंगी, हरा, लाइट येलो और लाइट ग्रीन रंग के गुलाल तैयार किए जा रहे।
ऐसे तैयार होता है ऑर्गेनिक और नेचुरल गुलाल
पहले दिन नेचुरल कलर्स जो बनाए गए हैं, उसे अरारोट में मिलाकर काफी देर तक छोड़ दिया जाता है। दूसरे दिन मिक्स किए गए रंग और अरारोट को अच्छी तरह सुखाया जाता है। तीसरे दिन सूख रहे गुलाल को चलनी से अच्छी तरह छानकर दोबारा सुखाया जाता है। चौथे दिन गुलाल के पूरी तरह सूख जाने पर इसमें खुशबू के लिए गुलाब जल का और चमक के लिए अभ्रक का इस्तेमाल किया जाता है। पांचवें दिन गुलाल तैयार हो जाता है, जिसके बाद इसकी पैकेजिंग की जाती है।
50 किलो हर्बल गुलाल बिके
फूड कलर का लाइफ थोड़ा लंबा रहता है और नेचुरल कलर का लाइफ 4 से 5 दिन रहता है। अभी तक इन बच्चों ने 100 किलोग्राम ऑर्गेनिक और नेचुरल गुलाल बना लिया है। जिसमें 100 ग्राम के पैकेट की कीमत 25 रुपए रखी गई है। आगे भी 100 किलो कलर और बनाने का लक्ष्य है। वही कलर तैयार करने वाले स्टूडेंट शुभम सौरव ने बताया कि इन हर्बल कलर्स का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। अब तक बने कलर में 50 किलो बिक भी चुका है और उससे बच्चों को बारह से 13 हजार की कमाई भी हो गई है।

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