विधान परिषद में एनसीईआरटी की किताब लेकर पहुंचे अशोक चौधरी, बोले- सीएम ने जो बातें कही वे सभी किताब में लिखी, विरोध करने वाले पढ़े

पटना। विधान परिषद में भी कार्यवाही की शुरुआत होते ही हंगामा शुरू हो गया। भाजपा के विधान पार्षद नीतीश कुमार के जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दिए बयान पर नारेबाजी करते दिखे। वहीं, जदयू के पार्षद नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने लगे। पीएम के व्यक्तिगत जीवन पर टिप्पणी करना शुरू किया। इसके बाद भाजपा के विधान पार्षद वेल में आ गए। जदयू के कई पार्षद एनसीईआरटी की क्लास 12वीं की किताब लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि इसमें सेक्स को लेकर ज्ञान की बातें हैं। मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में सेक्स जुड़ी कई जानकारियां हैं। इन्हीं बातों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामने रखा था। इस पर इतना बवाल खड़ा कर दिया गया। अगर भाजपा को इतनी ही दिक्कत है तो एनसीईआरटी का पूरा सिलेबस बदलवा दें। अशोक चौधरी एनसीईआरटी की किताब लेकर विधान परिषद पहुंचे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी को लगता है कि अपमानजनक बातें हैं तो फिर 12वीं की किताब से इन सब बातों को हटवाना चाहिए। ये लोग इसलिए ड्रामा कर रहे हैं कि आरक्षण से जुड़ा बिल विधानमंडल में आना है। बीजेपी पिछड़ा और दलित विरोधी है। नीतीश कुमार के इमेज को खराब करना चाहते हैं। लेकिन, नीतीश कुमार की इमेज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि बिहार के पिछड़े अति पिछड़े और दलित जानते हैं कि नीतीश कुमार ने ही उनकी लंबी लड़ाई लड़ी है। नीतीश कुमार ने ही बिहार में आरक्षण को बढ़ाने का बड़ा काम किया है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का आज जन्मदिन है। वे बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। बिहार के मुख्यमंत्री की ओर से यही तिथि निर्धारित की गई कि विधानमंडल में आरक्षण संशोधन बिल 2023 पेश किया जाए! इसकी चर्चा खूब है कि यह जन्मदिन के अवसर पर तेजस्वी यादव को यादगार गिफ्ट की तरह है ! हालांकि यह गिफ्ट बिहार के लोगों को है। दो दिन पहले इसे कैबिनेट से स्वीकृत कराया जा चुका है। बिहार की राजनीति के इतिहास में यह दिन याद रखा जाएगा कि 9 नवंबर 2023 को आरक्षण का दायरा बढ़ाते हुए सरकार ने सामाजिक बदलाव के लिए इतना बड़ा कदम बढ़ाया है। भारतीय जनता पार्टी का विरोध नीतीश कुमार के सेक्स-ज्ञान वाले शब्दों पर जरूर है। लेकिन आरक्षण बिल पर उनकी सहमति है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों ही यह कहते रहे हैं कि जाति गणना से सामाजिक न्याय की धारा मजबूत होगी। बिहार सरकार ने जिद करके जाति गणना करवाई और उसके सामाजिक- आर्थिक आंकड़ों के अनुसार न सिर्फ आरक्षण का दायरा बढ़ाया जा रहा है बल्कि गरीबों को आर्थिक दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से सामाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए दो-दो लाख रुपए देने का फैसला सरकार ने किया है।

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