महापर्व छठ पर विशेष: सर्वार्थसिद्धि योग में नहाय खाय और त्रिपुष्कर योग में सायंकालीन अर्घ्य

छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 11 नवंबर से 

हिन्दू सनातन धर्मावलंबी के महान पर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 11 नवंबर दिन रविवार से आरंभ हो रहा है। सोमवार 12 नवंबर को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी। वहीं 13 नवंबर दिन मंगलवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन बुधवार 14 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जाएगा।

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी दिन रविवार को सर्वार्थसिद्धि योग में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो रहा है। इस बार छठ महापर्व पर ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनायी जाएगी। यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करेंगी। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चला आ रहा है। वहीं मंगलवार 13 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य पर त्रिपुष्कर योग (सिद्धि, अमृत, सर्वार्थसिद्धि योग) का संयोग बन रहा है। जबकि 14 नवंबर बुधवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य पर छत्र योग का शुभ संयोग बन रहा है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से कई जन्मो के पाप नष्ट होते है।

पंडित झा ने शास्त्रों के हवाले से कहा कि सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के इस जन्म के साथ किसी भी जन्म किये गए पापो से मुक्ति मिलती है। भगवान सूर्य को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य देवता को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। इसीलिए उन्हें इस तिथि का स्वामी भी कहा जाता है।

नहाय खाय से पारण तक बरसती है छठी मैया की कृपा

ज्योतिषी पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया कि छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करते है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। पंडित झा ने कहा सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।

संतान प्राप्ति के लिए उत्तम है छठ व्रत

पटना के ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा ने कहा कि लोक आस्था का महा पर्व छठ का व्रत आरोग्य प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था, भगवान भास्कर से इस रोग मुक्ति के लिए राजा ने छठ व्रत किया था। स्कन्द पुराण तथा वर्षकृतम में भी इस प्रतिहार षष्ठी की वर्णन है।

नहाय-खाय एवं खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट

पंडित झा के अनुसार छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है। वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आँख की पीड़ा समाप्त हो जाते है।

About Post Author

You may have missed