चार दिवसीय चैती छठ की शुरुआत कल से; पटना के घाट तैयार, नहाए खाए से शुरू होगा अनुष्ठान

पटना। लोकआस्था का महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार 12 अप्रैल से हो रही है। शुक्रवार को पहले दिन नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत होगी। चैत्र महीने में मनाए जाने की वजह से इसे चैती छठ पर्व के नाम से जाना जाता है। बिहार, उत्तरप्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में साल में दो बार छठ पर्व मनाया जाता है। एक बार छठ कार्तिक माह में दीपावली के छह दिन बाद और दूसरी बार चैत माह में मनाया जाता है। कार्तिक माह के छठ के बारे में सभी लोग जानते हैं लेकिन उसकी अपेक्षा चैत माह की छठ के बारे में कम चर्चा होती है। लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर है। 12 अप्रैल को नहाय खाय से इसकी शुरुवात होगी। जिसके बाद 13 अप्रैल को खरना होगा। 14 अप्रैल की शाम को सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 15 अप्रैल की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यह पर्व सम्पन होगा। इस दौरान श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए दानापुर नगर परिषद् तैयारियों में जुट गई है। नगर प्रशासन द्वारा चैती छठ पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अस्थाई बैरिकेडिंग की गई है। नगर परिषद् के सफाई कर्मचारी गंगा नदी के किनारों की सफाई में जुटे हैं। संबंधित अधिकारियों को भीड़ की निगरानी के लिए वॉच टावर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम स्थापित करने के अलावा घाटों पर चेंजिंग रूम, हेल्प-डेस्क, अच्छी लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पीने के पानी की सुविधा और टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है। दानापुर के नासरीगंज स्थित फक्कड़ महतो घाट, नारियल घाट, राजपूताना घाट के साथ ही अन्य घाटों को चैती छठ को लेकर तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में दानापुर नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी विपिन कुमार ने बताया कि छठ पूजा को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में है। छठ वर्तियो को किसी भी तरह का परेशानियां न हो उसके लिए अस्थाई बेरिकेडिंग, भीड़ की निगरानी के लिए वॉच टावर, घाटों पर चेंजिंग रूम, हेल्प-डेस्क, अच्छी लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। पूजा की शुरुवात से पहले सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएगी। कार्तिक छठ का महत्व तो और बढ़ जाता है क्योंकि यह चैत नवरात्रि के दिनों में मनाया जाता है। छठ पर्व को महापर्व कहा जाता है क्योंकि इसमें किया जाने वाला साधना बहुत कठिन है। वर्ती इस पर्व के दौरान 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं। चैत छठ भी ठीक इसी विधि से की जाती है लेकिन इस पर्व में किया जाने वाला साधना और कठिन है क्योंकि चैत माह में भीषण गर्मी रहती है। पारा चालीस के पास पहुंच जाता है। वैसे में दो तीन घंटे तक बिना पानी के रहना मुश्किल है वहां व्रती 36 घंटे तक बिना जल के रहती हैं।

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