पुलवामा हमले के तथ्यों को छुपाने के लिए अतीक हत्याकांड को दिया जा रहा हवा : राजेश राठौड़

  • सत्यपाल मलिक के बयान पर पुलवामा हमले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बैठे जांच : राजेश राठौड़
  • पुलवामा हमले की हो न्यायिक जांच, सत्यपाल मलिक के बयान से ध्यान भटकाने को रची गयी अतीक की हत्या की स्क्रिप्ट : राजेश राठौड़

पटना। पुलवामा हमले पर जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान ने कांग्रेस के तत्कालीन दावों को बल दिया है कि केवल चुनावी लाभ के लिए BJP और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। ये बातें बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कही। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले पर दिए गए BJP के वरिष्ठ नेता व जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्रालय पर काफी गम्भीर आरोप है और इसकी व्यापक जांच की जरूरत है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने इस मामले में होने वाले छीछालेदर से बचने के लिए यूपी में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या के शिगूफा को मीडिया में छोड़ दिया। लोकतंत्र में जहां न्यायालय हैं और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए संघीय व्यवस्था बनी हुई है ऐसे में यह गनतंत्र का आना कहीं से भी हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान को पुनः उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि देश का संविधान उन लोगों ने बनाया है, जो आज़ादी के लिए लड़े थे। हमारा इसी संविधान और क़ानून को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इससे खिलवाड़ करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती है। अपराधी की सजा का फ़ैसले का अधिकार न्यायपालिका का है। ये अधिकार किसी सरकार को, किसी नेता को या क़ानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को नहीं दिया जा सकता है। गोली-तंत्र और भीड़ तंत्र की वकालत करने वाले केवल संविधान को ध्वस्त करते हैं। समाज में किसी को डराने व धमकाने के लिए जो भी हमारी न्याय प्रणाली में राजनैतिक उद्देश्य से दखलअंदाज़ी करता है,अपराधी के साथ वो भी दंड का भागीदार है। किसी भी मुजरिम को सख़्त से सख़्त सजा मिले,इसके लिए अदालतें हैं। क़ानून व्यवस्था से खिलवाड़ करना केवल अराजकता को जन्म देता है। साथ ही उन्होंने पुलवामा हमले के खिलाफ पुनः जांच की आवश्यकता बताते हुए जेपीसी की मांग की।

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