बोलो जिंदगी फाउंडेशन ने किया आयोजित,”आओ गांव चलें” शहरी बच्चों को गाँव की संस्कृति से जोड़ने की का प्रयास

पटना।रविवार को बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन एवं स्कॉलर्स एबोड के संयुक्त तत्वधान में कार्यक्रम “आओ गाँव चलें” का आयोजन किया गया. जिसके तहत स्कॉलर्स एबोड स्कूल के 45 वैसे बच्चों को धनरुआ प्रखंड के बीर-ओरियारा गाँव भ्रमण पर ले जाया गया जो आज़तक कभी गाँव नहीं गए हैं, जिन्होंने रियल लाइफ में गाँव होता कैसा है देखा ही नहीं है. जिन्होंने गाँव को सिर्फ किताबों में पढ़ा और फ़िल्म-टीवी में देखा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था शहरी कल्चर में पले-बढ़े बच्चों को ग्रामीण संस्कृति से रूबरू कराने के साथ ही उन्हें किताबों से इतर व्यवहारिक शिक्षा भी मिले.

गाँव जा रहे बच्चों के स्कूली बस को रविवार की सुबह हरी झंडी देकर रवाना किया पटना के जानेमाने चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी, स्कॉलर्स एबोड की प्राचार्या डॉ. बी. प्रियम एवं बोलो ज़िन्दगी के निदेशक राकेश सिंह ‘सोनू’ ने.
ये सभी अतिथि स्कूली बच्चों के साथ खुद भी गाँव भ्रमण पर गयें. कार्यक्रम का संचालन बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन द्वारा किया गया.
हरी झंडी देने के पहले इस अवसर पर बोलो ज़िन्दगी फाउंडेशन के डायरेक्टर राकेश सिंह ‘सोनू’ ने कहा कि “कभी पटना में वैसे एक-दो बच्चों से मुलाक़ात हुई थी जो कभी गांव ही नहीं गए थें, तब वहीं से आइडिया आया कि ऐसे बहुत से बच्चे शहर में होंगे तो क्यों नहीं उन्हें ले जाकर ग्रामीण संस्कृति से रु-ब-रु कराया जाए…कि जो अनाज हम खाते हैं उसकी फ़सल गांव के किसान कैसे उपजाते हैं, उन्हें खेत-खलिहान भी दिखाया जाए, डायनिंग टेबल पर खानेवाले बच्चों को गांव में दरी पर बैठाकर पत्तल में खिलाया जाए, मिट्टी के चुक्के में पानी पिलाया जाए. मतलब उन्हें भी गाँव की संस्कृति से जोड़ा जाए.”
वहीं स्कॉलर्स एबोड की प्राचार्या डॉ. बी. प्रियम ने कहा ” सच में इस यात्रा से हमारे बच्चे कुछ-ना-कुछ अच्छा सीखकर ही अपने घर लौटेंगे यह हमें विश्वास है. और तमाम अभिभावकों से हम यही अपील करना चाहेंगे कि वो अपने बच्चों को कभी-कभी गाँव ज़रूर घुमाएं जिससे उनका अनुभव बेहतर होगा.”
वहीं डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि “यह स्कूली बच्चे जिस गाँव (बीर) में जा रहे हैं वो मेरा खुद का गांव है. बीर गाँव में बच्चे किसानों और गाँव के मुखिया से मिलेंगे, खेत-खलिहान और फसलों को देखेंगे, गांव के सरकारी स्कूल, मंदिर, तालाब का भी भ्रमण करेंगे. कभी गाँव नहीं गए बच्चों के लिए यह नया अनुभव होगा.”
अपने-अपने हाथों में जागरूकता हेतु स्लोगन की तख्तियां लेकर जब सभी बच्चे बस से उतरें तो यह देखकर बीर गांव वाले भी दंग रह गयें.
उनके हाथों में जागरूकता वाली तख्तियों पर कुछ स्लोगन यूँ थें-

“शिक्षा दे शक्ति,बाल-मजदूरी से मुक्ति…”, “चलो अब शुरुआत करें, बाल-विवाह का नाश करें…”, “ऐसा कोई काम नहीं जो बेटियाँ ना कर पायी हैं, बेटियाँ तो आसमान से तारे तोड़ लायी हैं…”, “दहेज हटाओ, बहु नहीं बेटी बुलाओ…”, “पर्यावरण का रखें ध्यान, तभी देश बनेगा महान…” जिसे देखकर गाँव के पढ़े-लिखे लोगों ने इस अभियान की बहुत सराहना की.
गाँव घुमाने के बाद बच्चों के साथ पूरी टीम को दरी पर बैठाकर उन्हें पत्ते के पत्तल पर पूरी, सब्जी और खीर परोसकर खिलाया गया और मिट्टी के कुल्हड़ में पानी पिलाया गया.

डॉ. दिवाकर तेजस्वी के नेतृत्व में बीर गाँव घूमने पहुँचे बच्चों के हाथों से पौधरोपण का कार्यक्रम भी सम्पन्न हुआ..

बच्चों के खाने-पीने की व्यवस्था का सारा दारोमदार बोलो जिंदगी फाउंडेशन की टीम-कॉर्डिनेटर तबस्सुम अली का था. और सुबह से शाम तक कि इस यात्रा में शामिल सारे बच्चों की देखरेख भी तबस्सुम के नेतृत्व में हुआ.
वहीं फाउंडेशन के प्रोग्रामिंग हेड प्रीतम कुमार ने इस कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार की थी.

कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में सभी बच्चों को ओरियारा स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन भी कराए गयें.
शाम 4 बजे गाँव से सभी बच्चों को साथ लेकर फाउंडेशन की टीम पटना के लिए रवाना हुई.

“आओ गाँव चलें” कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. बी. प्रियम, अनुजा श्रीवास्तव, पंकज कुमार, डॉ. दिवाकर तेजस्वी, राकेश सिंह ‘सोनू’, तबस्सुम अली, प्रीतम कुमार, नीरज कुमार, दीपक कुमार, सुबी फौजिया एवं अन्य का विशेष योगदान रहा.

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