बिहार निकाय चुनाव का फिर फंसा पेंच : याचिकाकर्ता द्वारा चुनाव को तुरंत रोक लगाने की मांग, 8 नवंबर को होगी सुनवाई

पटना। बिहार में निकाय चुनाव पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। बता दे की सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर कर दी है। वही याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगायी गयी है कि वह तत्काल इस मामले पर सुनवाई करे और बिहार में कराये जा रहे निकाय चुनाव पर रोक लगाये। सुप्रीम कोर्ट में कल यानि 8 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है। बताते चले की बिहार में निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 28 नवंबर को ही बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को निकाय चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए डेडिकेटेड कमीशन यानि समर्पित आय़ोग मानने से इंकार कर दिया था। हालांकि इस मामले में 5 दिसंबर को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2023 को करने का आदेश दिया था। वही इस बीच बिहार में नगर निकाय चुनाव संपन्न हो जाता। तभी ये कयास लगाया जा रहा था कि बिहार सरकार सूबे में निकाय चुनाव करा लेगी।
निकाय चुनाव पर रोक के लिए तत्काल सुनवाई की याचिका
वही इस बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका दायर की गयी है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से तत्काल मामले की सुनवाई करने की मांग की गयी है। वही कोर्ट में आज याचिकाकर्ता सुनील कुमार की ओऱ से गुहार लगायी गयी है। इसमें कहा गया है कि बिहार में निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जस्टिस सूर्यकांत और जे के माहेश्वरी की बेंच ने 28 नवंबर को बिहार सरकार औऱ बिहार राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था और 28 नवंबर 2022 को ही समर्पित आयोग के कामकाज पर रोक लगा दिया था। वही इसके बाद बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर को एक चुनाव अधिसूचना जारी कर दी गयी है। जिसमें अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को समर्पित आयोग यानि डेडिकेटेड कमीशन बताते हुए उसकी रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई है। जबकि कोर्ट पहले ही उसे डेडिकेटेड आयोग मानने से इंकार कर दिया था। बाद में 1 दिसंबर को भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट किया कि जिसे डेडिकेटेड कमीशन मानने से इंकार कर दिया गया था वह एक्ट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन यानि अति पिछ़ड़ा वर्ग आयोग ही है।
अति पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं
वही आज दायर आवेदन में कहा गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही बिहार के डेडिकेटेड कमीशन के कामकाज पर रोक लगा चुका है फिर राज्य निर्वाचन आयोग ने उसी आय़ोग की रिपोर्ट पर चुनाव कराने की अधिसूचना कैसे जारी कर दी। सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों में निकाय चुनाव लड़ रहे लोगों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। वही सुप्रीम कोर्ट में दायर ताजा आवेदन में कहा गया है कि मामले की अर्जेंसी को देखते हुए याचिकाकर्ता के आवेदनों को तत्काल सुनवाई के लिए लिया जाये। यह न सिर्फ याचिकाकर्ता के हित में होगा, बल्कि राज्य और आम जनता के हित में भी होगा। चूंकि बिहार में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसलिए यह न्याय के हित में होगा कि सुप्रीम कोर्ट तत्काल इस मामले को सुने। हालांकि कोर्ट ने 20 जनवरी की अगली तारीख दे रखा है। लेकिन उस समय तक पूरी चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। ऐसे में कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिये।
