बड़ा आरोप: बिहार में दारोगा से थानाध्यक्ष एवं पुलिस उपाधीक्षक की पोस्टिंग का कितना है रेट

पटना। अखिल भारतीय अपराध विरोधी मोर्चा ने राज्य के जिलों में पुलिस अधीक्षक पुलिस उपाधीक्षक तथा थानाध्यक्षों के पदस्थापन में चल रहे राजनीतिक हस्तक्षेप, जाति एवं धनबल आधारित पोस्टिंग को सूबे में बढ़ते अपराध को मुख्य कारण बताया। मोर्चा ने वैसे सभी थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक, जिनकी तैनाती धनबल एवं पैरवी के बदौलत हुई है, उनके सम्पति की जांच सीबीआई, निगरानी एवं आर्थिक कोषांग से कराने की मांग राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की है।
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनवन्त सिंह राठौर ने अपने कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पैरवी व धनबल से थानाध्यक्षों एवं पुलिस उपाधीक्षक की तैनाती नीतीश मुख्यमंत्रित्व काल में ही नहीं, लालू-राबड़ी और मांझी के कार्यकाल में भी होता रहा है। वर्तमान में दारोगा से थानाध्यक्ष एवं पुलिस उपाधीक्षक के लिय क्रमश: तीन से बीस लाख तथा पचास लाख रेट तय है। कनीय पदाधिकारी राशि देकर अपनी तैनाती करा लेते हैं, जबकि वरीय स्वच्छ ईमानदार अधिकारी पुलिस व जिला मुख्यालयों, सीआईडी में पदस्थापित रहते हैं। आज तीस प्रतिशत अधिकारी जानबूझ कर सत्ता से जुड़े राजनेताओं के पैरवी के डर से थाना में रहना भी नहीं चाहते हैं। कई पुलिस पदाधिकारी आज पैरवी नहीं मानने तथा धन नहीं पहुंचाने के कारण भ्रष्ट अधिकारियों के साजिश में फंसे हुए हैं और लाईन हाजिर हैं।
श्री राठौर ने कहा कि मोर्चा अगले माह से इस विषय पर राज्यभर में सेमिनार, कार्यशाला का आयोजन करेगी। संवाददाता सम्मेलन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवचंद मंडल, महासचिव हृदय बिहारी सिंह, सचिव मनोज कुमार सिंह, प्रदेश महासचिव राजू सहाय, संजय कुमार सिंह उपस्थित थे।

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