सीएम नीतीश के नियंत्रण से बाहर हुआ बिहार, केंद्र तुरंत लगाए राष्ट्रपति शासन : जीतनराम मांझी

गया/पटना। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि सुशासन बाबू की सरकार में थानेदार और पत्रकार असुरक्षित हैं। अपराधियों में कानून का भय नहीं है। बिहार में हालात सुधारने के लिए राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए। वे गोदावरी स्थित हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रधान कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। जंगल राज-वन व टू से ज्यादा जंगल राज-थ्री में आपराधिक घटनाएं बढ़ गई है। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार नहीं संभल पा रहा है। मांझी ने कहा कि सीएम नीतीश को बिहार की नहीं बल्कि पीएम पद पाने की चिंता है। इनका बिहार से नाता टूट रहा है। बिहार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं बची है। गवाह मिटाने के लिए पत्रकार की हत्या कर दी जाती है तो वहीं थानेदार भी असुरक्षित हैं। उन्होंने नीतीश सरकार पर बालू एवं शराब नीति को लेकर जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मापदंडों को दरकिनार कर नदियों से पोपलेन मशीन के द्वारा 15 से 20 फीट बालू उठाव कर गड्ढे कर दिए जा रहे हैं जबकि नियमत: तीन से चार फीट बालू उठाव करने का प्रावधान है। बीते दिनों नदी के गहरे गड्ढे में गया जिला के डोभी थाना क्ष्रेत्र अंतर्गत धरमपुर गांव के शंकर मंडल के 08 वर्षीय पुत्र समीर कुमार के डूब जाने से मौत होने पर गहरा दुख प्रकट करते हुए इसके लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मध निषेध नीति पूरी तरह से फेल है। ताड़ी बेचने वाले को पुलिस बेवजह परेशान करती है। उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने की शराब नीति में बदलाव की मांग
उन्होंने आईजी कमजोर वर्ग अनिल यादव के हलफनामे की जानकारी देते हुए कहा कि शराब नीति से सबसे ज्यादा शिकार गरीब और मजदूर वर्ग हो रहे हैं, जबकि बड़े-बड़े अफसर, मंत्री, विधायक, ठेकेदार रोज रात को ब्रांडेड शराब पीते हैं, उन्हें पुलिस नहीं पकड़ती है। इस मुद्दे पर सरकार को गुजरात एवं अन्य प्रदेश की तरह शराब नीति में बदलाव करनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था सुधारने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी है।

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