अभिवन कदम: समस्तीपुर मंडल में बायो-डीजल के साथ लोकोमोटिव का फील्ड परीक्षण
हाजीपुर। भारतीय रेल में पहली बार समस्तीपुर मंडल में बी-25 बायो डीजल आधारित लोकोमोटिव का फील्ड परीक्षण समस्तीपुर में किया गया। इस परीक्षण के लिए लोको संख्या 16655 डब्लूडीएम3ए में 25 प्रतिशत बायो-डीजल मिश्रित किया गया है। यह परीक्षण गाड़ी संख्या 55513 समस्तीपुर-जयनगर सवारी गाड़ी के साथ किया गया, जिसे पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर महाप्रबंधक ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इस परीक्षण की सफलता भारत को भविष्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध होगा। आई.आर.ओ.ए.एफ., नई दिल्ली एवं आर.डी.एस.ओ., लखनऊ द्वारा अधिकृत एवं स्वीकृत यह परीक्षण समस्तीपुर डीजल लोको शेड की गहन निगरानी में किया गया।
भारतीय रेल के मानक ड्यूटी चक्र के अनुसार 4000 लोकोमोटिव को बी-25 बायो-डीजल के साथ वर्ष में 330 दिन चलाया जाए तो लगभग 2100 टन प्रतिवर्ष कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। बी-25 बायो-डीजल के उपयोग से पड़ने वाला सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव लगभग 500 ट्रकों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण को नगण्य करने के समतुल्य है। बी-25 बायो-डीजल के प्रयोग से सिर्फ समस्तीपुर डीजल लोको शेड में र्इंधन लागत के रूप में लगभग 3 करोड़ रूपए की बचत की जा सकती है। इस प्रकार अगर समस्त भारतीय रेल में इस इंजन को प्रयोग में लाया जाता है तो लगभग 178 करोड़ रूपए की बचत हो सकती है। स्वच्छ भारत की ओर कदम बढ़ाते हुए स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान बायो-डीजल का प्रयोग करना समस्तीपुर मंडल द्वारा पर्यावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण योदान कहा जा सकता है। बायो-डीजल कुछ पौधों विशेषकर जट्रोफा से बनता है। पौधों के उपयोगी हिस्सों को जब कम्प्रेस किया जाता है तो वे भी एक क्रूट आयल में बदल जाते हैं। उस क्रूड आॅयल से भी कई तरह के एनर्जी देने वाले पदार्थ बनाये जाते हैं, जिसमें से बायो डीजल एक है।