बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, मोदी सरकार ने की घोषणा

नई दिल्ली। बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। इस संबंध में शनिवार को मोदी सरकार ने बड़ी घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ट्विटर से इस बात की जानकारी देते हुए ट्वीट किया। मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखते हुए कहा कि हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं। उनका भारत के विकास में योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने देश के गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं। मोदी ने आगे लिखा की मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी राममंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। आंदोलन को गति देने का श्रेय उन्हीं को जाता है। ऐसे में मोदी सरकार का यह फैसला उन्हें आंदोलन के तोहफे के तौर पर देखा जा रहा है।
आडवाणी जी ने राष्ट्रीय एकता के पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अद्वितीय प्रयास किये
पीएम मोदी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में लालकृष्ण आडवाणी जी की दशकों लंबी सेवा को पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अद्वितीय प्रयास किए हैं। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है।’ मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले।
पाकिस्तान के कराची में जन्म, विभाजन के समय मुंबई आ गए
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया।
बीजेपी को रचने और गढ़ने वालों में से एक हैं लालकृष्ण आडवाणी
बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आडवाणी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। भारतीय जनता पार्टी आज जिस रूप में है, उसमें लालकृष्ण आडवाणी का बहुत बड़ा हाथ माना जाता है। एक समय बीजेपी के केवल दो ही सांसद हुआ करते थे। वहीं आज पार्टी आज केंद्र समेत कई राज्यों में सरकार चला रही है। राम मंदिर आंदोलन को भी आडवाणी ने हवा दी थी। उन्होंने ही सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी। इस रथ यात्रा में उनके साथ नरेंद्र मोदी भी थे।
भाजपा के फाउंडर मेंबर्स, 2015 में उन्हें पद्म विभूषण मिला
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 7वें उप-प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले 1998 से 2004 के बीच एनडीए सरकार में गृहमंत्री रहे। वे भाजपा के फाउंडर मेंबर्स में शामिल हैं। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण मिला था।
1942 में हुई थी आडवाणी के राजनीतिक करियर की शुरुआत
आडवाणी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वालंटियर के तौर पर हुई थी। इसके बाद वे आडवाणी 1970 से 1972 तक जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे। 1973 से 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। फिर 1970 से 1989 तक वे चार बार राज्यसभा के सदस्य रहे। इस बीच 1977 में वे जनता पार्टी के महासचिव भी रहे। वही 1977 से 1979 तक वे केंद्र में मोरारजी देसाई की अगुआई में बनी जनता पार्टी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
1986 में बने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
वे 1986-91 और 1993-98 और 2004-05 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1989 में वे 9वीं लोकसभा के लिए दिल्ली से सांसद चुने गए। 1989-91 तक वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में वे गांधीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए। 1998 से लेकर 2004 तक एनडीए सरकार में गृह मंत्री रहे।
अटल सरकार में उपप्रधानमंत्री बने थे आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं। इससे पहले वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में गृहमंत्री रह चुके हैं। वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2015 नें उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 2015 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों उन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया।
आडवाणी ने निकाली थी रथ यात्रा, बिहार में लालू ने किया था गिरफ्तार
लाल कृष्ण आडवाणी की उस राम रथ यात्रा ने उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर और तकदीर दोनों बदल कर रख दी। साल 1990 की 25 सितंबर को आडवाणी की अगुवाई में गुजरात स्थित सोमनाथ से यूपी स्थित अयोध्या के लिए एक यात्रा निकली थी, इसे नाम दिया गया राम राथ यात्रा। रथ यात्रा शुरू करने के बाद आडवाणी ने एक संबोधन दिया और इसी में उन्होंने कहा था- सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे। इस रथ यात्रा में आडवाणी के तब नरेंद्र मोदी भी साथ थे। इस रथ यात्रा के दौरान आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया और दुमका (अब झारखंड) में नजरबंद किया गया था। अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर भव्य राम मंदिर बनाने के लिए देशभर में समर्थन जुटाने के मकसद से भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की थी लेकिन जब उनकी रथ यात्रा बिहार पहुंची तो वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव के आदेश पर 23 अक्टूबर, 1990 को उन्हें समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी का मकसद देश के हर राज्य से होते हुए 30 अक्टूबर को रथ यात्रा अयोध्या पहुंचना था, लेकिन लालू यादव ने उन्हें उनके मकसद में कामयाब नहीं होने दिया। लालू यादव ने मंदिर आंदोलन के बड़े नेता ओर विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंहल समेत आडवाणी को समस्तीपुर से गिरफ्तार करवाया था। इसके बाद उन्हें स्पेशल चॉपर से दुमका के गेस्ट हाउस में रखा था। जब आडवाणी के परिजन उनसे मिलने आए थे, तब भी लालू यादव ने उनके लिए चॉपर की पेशकश की थी।

 

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