बाढ़ : ना रहने का बसेरा और ना ही पेट में अनाज, जाएं तो जाएं कहां

  • धनंजय परिवार के साथ सरकारी भवन में रात गुजारने को विवश, खाली करने का मिला नोटिस

बाढ़। ना रहने का बसेरा और ना ही पेट में अनाज, जाएं तो जाएं कहां। पति-पत्नी और 3 बच्चे बने मुसीबत। जी हां, यह कहानी है बाढ़ प्रखंड के शहरी पंचायत की, जहां गांव से अलग तालाब किनारे करीब 3 वर्ष पूर्व पंचायत का पंचायत सरकार भवन करोड़ों की लागत से बनकर तैयार तो हो गया लेकिन विधिवत कभी भी इस भवन में सरकारी काम होते नहीं देखा गया। लेकिन अब उसे पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है। पंचायत प्रतिनिधि के द्वारा भवन की चारदीवारी कराई जा रही है लेकिन मुसीबत यह है कि गांव का ही एक गरीब परिवार धनंजय कुमार सिंह इस भवन के पंचायत सचिव के रहने के लिए बनाए गए आवास में इन दिनों जीवन यापन कर रहा है। इस गरीब के पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड तो है लेकिन दाने-दाने का मोहताज है।
धनंजय वर्ष 2019 में एक झोपड़ी बनाकर रहने का काम कर रहा था लेकिन अचानक झोपड़ी में आग लग जाने से वह भी जलकर राख हो गया, अब किसी तरह अपने बाल-बच्चों और परिवार के साथ सरकारी भवन में रात गुजारने को विवश है। लेकिन 1 दिन पहले अंचल कार्यालय से एक नोटिस जारी होता है और उसे 2 दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने का फरमान सुना दिया जाता है। परिवार के लोग अब इस सदमा में हैं कि आखिर अब वह जाएंगे तो जाएं कहां। ना कोई सहारा, नहीं कोई देखने वाला, नहीं परिवार के पास राशन कार्ड है और ना ही कोई रोजगार। करीब 20 सालों से परिवार के साथ पंचायत में रह रहा है तो जरूर, लेकिन ना तो उसका बीपीएल सूची में नाम है और ना ही आज तक उसे आवास योजना का लाभ दिया गया है लेकिन वोट वह हर बार देता है।
धनंजय ने कहा कि यदि उसे यहां से जबरन बाहर निकाला गया तो उसके पास परिवार के साथ आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। ऐसी परिस्थिति में मामले को लेकर अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं पंचायत के मुखिया योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ जोगी मुखिया से बात की गई लेकिन कोई सकारात्मक पहल अभी तक नहीं की गई है। ऐसे में यदि इस गरीब परिवार के बच्चे और परिवार के किसी भी सदस्य की भूख से मौत होती है तो जिम्मेदार कौन होगा?

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