सीएम नीतीश के शराबबंदी के कारण राज्य में आई खुशहाली को भी देखे सुशील मोदी : जदयू

  • शराबबंदी पर सर्वदलीय बैठक की मांग को लेकर सुशील मोदी को जदयू प्रवक्ता ने दिया जवाब

पटना। राजधानी पटना में राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने मशरख जहरीली शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग की है। इसपर सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने का सरकरा को सुझाव दिया है। जबकि सांसद के सुझाव पर जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ‘मान्यवर सुशील कुमार मोदी जी सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी जैसे सामाजिक फैसले सर्वदलीय संकल्प, ह्यूमन चेन और जनसमर्थन के बदौलत लिया है। इसकी लगातार समीक्षा भी की जा रही है। साथ ही जो भी मामले पर प्रतिवेदन मिले हैं उनपर संज्ञान भी लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी जैसे सामाजिक फैसले ह्यूमन चेन और जनसमर्थन के बदौलत लिया है। इसकी लगातार समीक्षा भी हो रही है। जो भी मामले हैं। उसपर संज्ञान भी सरकार ले रही है। मुख्य प्रवक्ता नीरज ने कहा कि आपके दल के नेता और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महागठबंधन के फैसले को 5 जनवरी 2017 को साहसिक फैसला बताते हुए सभी दलों को संगठन का सहयोग करने की बात की है। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह केवल सरकार के बूते की बात नहीं है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। हर तरह से सामाजिक प्रभाव का मूल्यांकन करते रहते हैं। समाज के गरीब तबकों में शराबबंदी से जो खुशहाली आई है। उन महिलाओं के आत्मसम्मान और स्वाभिमान जो दिखना चाहिए तो उसका भी दृष्टिगोचर करना चाहिए।
सुशील मोदी ने की पीड़ितों के लिए मुआवजा की मांग
वहीं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि 2016 में गोपालगंज स्थित खजूरबन्ना में जहरीली शराब पीने से 30 लोगों की मौत हुई थी। उनके आश्रितों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा मिला था। जबकि मशरख इलाके में पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया गया। सुमो के मुताबिक मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जहरीली शराब के तहत 77 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन सरकार की तरफ से 42 लोगों के मरने की बातें कही गई।शराबबंदी पूरी तरह से विफल: सुमो के अनुसार जहरीली शराब से मौत की घटनाओं और मदिरा की होम डिलीवरी ने शराबबंदी को पूरी तरह से विफल कर दिया। तब भी सीएम नीतीश विफलता को स्वीकार नहीं करते और पीड़ित लोगों का दोष दे रहे हैं। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 77 लोगों की है।

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