PATNA : सुशील मोदी ने नीतीश पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- CM के जिद्द के कारण कानूनी दांवपेच में फंस गया नगर निकाय चुनाव

पटना। बिहार नगर निकाय चुनाव पर लगा ग्रहण अभी हटा नहीं है। निकाय चुनाव के लिए बनाए गए बिहार सरकार के EBC कमिशन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। वही ऐसे में राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व डिप्टी CM सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका जिम्मेदार ठहराया है। वही उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार की जिद्द की वजह से यह चुनाव टलता जा रहा है। वही आगे सुशील मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट के लिए एक डेडीकेटेड इंडिपेंडेंट कमीशन बनाया जाना था। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही डेडीकेटेड कमीशन अधिसूचित कर दिया।
आयोग में सभी राजद-जदयू के नेता
वही सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि इसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जेडीयू-आरजेडी के वरिष्ठ नेता थे। वही BJP यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए। ताकि वह निष्पक्ष पारदर्शी, बिना भेदभाव के काम कर सकें। जेडीयू-आरजेडी समर्थित आयोग द्वारा जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में संपूर्ण निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाय नगर निगम चुनाव का निर्णय लिया। वही कहा कि पटना नगर निगम में 75 वार्ड हैं। परंतु 7 वार्ड और वह भी मात्र 21 प्रगणत द्वारा कराया जा रहा है। कमीशन को सभी OBC का सर्वे कर उसमें राजनीतिक पिछड़ेपन के अधूरा सर्वे कराया जा रहा है। जबकि EBC का भी करना था। वही सुशील मोदी ने कहा कि बनाया गया आयोग ना तो पारदर्शी था और ना ही निष्पक्ष था। इन्हीं सब कारणों से न्यायाधीश सूर्यकांत और जेजे महेश्वरी की खंडपीठ ने EBC कमीशन को डेडीकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित करने पर 28 नवंबर को रोक लगा दी। संविधान की धारा 243 (U) में निकाय की पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि तक ही निकाय का कार्यकाल होगा। निकाय का चुनाव अवधि पूरी होने के होने के पूर्व या भंग होने के 6 महीने के भीतर कराए जाने का संवैधानिक प्रावधान है। लेकिन बिहार में बड़ी संख्या में निकायों का चुनाव एक डेढ़ वर्ष से लंबित है। वही उन्होंने कहा की नीतीश कुमार की जिद्द के कारण बिहार का निकाय चुनाव कानूनी दांवपेच में फंस गया है। तेजस्वी यादव नगर विकास मंत्री हैं परंतु उन्हें अति पिछड़ों और विभाग से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं।

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