बड़ी खबर:-एल्केम के संस्थापक तथा फार्मा इंडस्ट्रीज के महारथी संप्रदा सिंह का निधन।

मुंबई। बिहार के शान एवं देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक फार्मा इंडस्ट्री के महारथी संप्रदा सिंह के गुजर जाने की खबर आई है।संपदा बाबू के नाम से देश भर में मशहूर उद्योगपति संपदा सिंह का आज मुंबई में निधन हो जाने की सूचना मिली है।विस्तृत समाचार अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका है।मगर पटना में रहने वाले उनके कई शुभेच्छुओंं ने खबर की पुष्टि की है।

संप्रदा सिंह देश के ऐसे सम्मानित फार्मास्युटिकल उद्यमी थे, जिन्हें फार्मा उद्योग के आॅस्कर के समकक्ष एक्सप्रेस फार्मा एक्सीलेंस अवाॅर्ड से नवाजा गया है।संप्रदा सिंह ने 1953 में पटना में एक दवा दुकान से शुरुआत की थी। यह एक समझौता था। बिहार के जहांनाबाद जिले के छोटे से गांव ओकरी के एक किसान परिवार में जन्मे संप्रदा सिंह डाॅक्टर बनना चाहते थे। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला तो वे दवा विक्रेता बन गए।1960 में पटना में ही उन्होंने फार्मास्युटिकल्स डिस्ट्रिब्यूशन फर्म मगध फार्मा खोली। मेहनत व मिलनसारिता से कई बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के वे डिस्ट्रीब्यूटर बन गए, पर दवा बेचना उनकी नियति नहीं थी।

विक्रेता से निर्माता का सफल मुकाम

दवा विक्रेता से दवा निर्माता बनने का संकल्प लेकर वे मुंबई शिफ्ट हो गए। यहां 1973 में उन्होंने स्थापित की एल्केम लेबोरेटरीज। सीड कैपिटल बहुत कम होने से प्रारंभिक पांच साल उन्हें संघर्ष करना पड़ा। 1989 में टर्निंग पाइंट आया, जब एल्केम लैब ने बनाया एंटी बायोटिक कंफोटेक्सिम का जेनेरिक वर्जन टैक्सिम। इसकी इन्वेंटर कंपनी मेरिओन रूसेल (अब सेनोफी एवेंटिस) ने एल्केम को बहुत छोटा प्रतिस्पर्धी मानकर गंभीरता से नहीं लिया। फ्रेंच बहुराष्ट्रीय कंपनी से चूक हुई और किफायती मूल्य के कारण टैक्सिम ने मार्केट में वर्चस्व कायम कर फार्मास्युटिकल्स और न्यूट्रास्युटिकल्स बनाती है। 30 देशों में इसका कारोबार फैला हुआ है। फोर्ब्स इंडिया ने 100 टॉप भारतीय कुबेरों की सूची में संप्रदा सिंह को 52वां क्रम प्रदान किया था। 1.85 बिलियन डाॅलर निजी संपदा के धनी संप्रदा सिंह यह दर्जा हासिल करने वाले पहले बिहारी उद्यमी थे।

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