अकीदत के साथ खोला पहला रोजा,नन्हे रोजेदारो में दिखा गजब का उत्साह

फुलवारीशरीफ(अजित कुमार)कड़ी तपिश व तेज धूप के बावजूद लोगों ने रमजान उल मुबारक के पाक महीने का पहला रोजा रखा । भीषण तपिश में भी बड़ों के साथ ही नन्हे रोजेदारो ने भी पहला रोजा रखा और उनमे रोजा को लेकर गजब का उत्साह देखा गया | रमजान के महीने में अल्लाह से अपने गुनाहों से तौबा की खैर मनाने और अल्लाह की इबादत में पहला दिन गुजारा । शनिवार को पुरे अकीदत के साथ मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने पाक व मुकद्दस माहे रमजान का पहला रोजा खोला | जैसे ही मगरीब की आजान हुई तो रोजेदारों ने एक खजूर और एक गिलास पानी से रोजा तोड़ा |
मुसलमानों ने अकीदत के साथ रमजान का पहला रोजा रखा जिसमें बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे सभी शामिल रहे । रोजा रखने के साथ ही इबादत का सिलसिला शुरू हो गया । शाम को अजान होते ही लोगों ने अपने अपने घरो से ही अल्लाह की बारगाह में दुआओं के लिए हाथ उठाए और फिर खजूर और पानी से रोजा खोला । वहीं इशा की नमाज में घरो में ही लोगों ने तरावीह अदा की । हालांकि गर्मी और बिजली ने रोजेदारों का खूब इम्तहान लिया । कड़ी धूप और उमस ने भी रोजेदारों के उत्साह को कम न होने दिया | अब शाम के समय छः बज चुके हैं और मिलकियाना संगी मस्जिद हारून नगर खलीलपूरा महतवाना मुहल्ला ईसापुर खानकाह गुलिस्तान मोहल्ला नोहसा नया टोला कर्बला सहित आस पास के तमाम मुस्लिम मुहल्लों में चहल पहल है | लोग रोजा का पहला इफ्तार के लिए दस्तरखान पर बैठ चुके हैं | बच्चो के साथ बड़े बुजुर्ग सभी रमजान के पहले रोजा खोलने के लिए जमे हैं | कोई प्लेट में चना घुघनी परोस रहा है तो कोई फल और मिष्ठान | वहीँ बड़े से प्लेट में खजूर परोसा गया है | खजूर से रोजा तोडना सुन्नत माना जाता है | घर के बड़े बुजुर्ग बच्चो को इफ्तार शरू करने के पहले सभी को अल्लाह का शुक्रिया अदा करने को कहते हैं | पहला रोजा था इसलिए घरों में दोपहर से ही इफ्तार की तैयारियां शुरू हो गई थीं । महिलाएं रोजा के दिनों में ज्यादा ही वयस्त हो जाती है क्योंकि उन्हें घरो में सभी के लिए इफ्तार सामग्री बनाने होते है और उसके साथ ही इबादत का समय भी निकालना पड़ता है | ईफ्तार का दस्तरख्वान अलग – अलग पकवानों से सजा हुआ है । पहला इफ्तार का समय 6 बजकर 18 मिनट हुआ और खानकाह से सायरन बजने के साथ ही अजान होने लगी | खानकाह ए मुजिबिया के सायरन की आवाज फिजा में गूंजते ही सभी रोजेदार खजूर लेकर रोजा खोलना शरू कर देते हैं | खजूर के बाद रोजेदार शरबत लेते हैं और फिर तरह तरह के व्यंजनों से इफ्तारी पूरा करते हैं | करीब दस मिनट बाद सभी लोगों ने इफ्तारी कर हाथ मुह धोने में लगे हैं | अब नमाज के लिए दुआ में हाथ उठा कर नमाज आदा की गयी है | बाद नमाज सभी लोगों ने एक बार फिर से अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और तरावीह की नमाज की तैयारियों में जुट गये |

दोपहर बाद से पहले इफ्तार की खरीदारी के लिए बाजारों में उमड़े रोजेदार

फुलवारी शरीफ | फुलवारी शरीफ में दोपहर बाद ही रोजेदारों ने पहला इफ्तार खोलने के लिए बाजारों में खरीदारी के लिए उमड़ पड़े | किसी ने खजूर ख़रीदा तो किसी ने पकौड़े के लिए मनपसन्द सब्जी खरीदी | कोई बनिया की दुकान में अपने घर के लिए बेसन चीनी ख़रीदे तो कोई रूह अफजा शरबत खरीदने में दिलचस्पी दिखाई |लोग इफ्तारी के सामान की खरीदारी के लिए बाजार निकल पड़े | कोई फल ले रहा था, तो कोई दूध, तो कोई मिठाई, तो कोई रोटी. सबके सब लोग व्यस्त थे |रमजान को देखते हुए फल भी महंगा हो गया है |इफ्तारी का समय होने वाला है और बाजार से भीड़ छटने लगी है | वैसे भी रोजाना की तरह लॉक डाउन में छः बजने के साथ ही बजारें बंद होने लगती है |

रमजान ट्रेनिंग का महीना : मौलाना मिन्हाजुदीन कादरी मुजीबी

फुलवारी शरीफ | प्रसिद्द खानकाह ए मुजिबिया के सचिव मौलाना मिन्हाजुदीन कादरी मुजीबी ने कहा कि रमजान का महीना बहुत ही रहमतों और बरकतों वाला होता है | इस पाक व मुकद्दस माहे रमजानुल मुबारक में अल्लाह की तरफ से नेमतो व रहमतों की बारिश होती रहती है | इसी माह में अल्लाह ने पाक कुरान शरीफ उतारा है | रमजान का महीना ट्रेनिंग का महीना माना जाता है | जिस तरह से मुसलमान भाई इस महीना में नमाज पढ़ते हैं, जकात देते हैं, झूठ नहीं बोलते, कोई गलत काम नहीं करते | उसी तह साल के बाकी के सभी दिन रमजान के पाकीजगी की तरह गुजारने की प्रेरणा देता है | उन्हूने बताया की रोजे को अरबी में सोम कहते हैं | रोजा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि ज्यादा-से-ज्यादा वक्त इबादत में गुजारने और सही वक्त पर नमाज पढ़ेंने की सिख भी देता है | जिस तरह रमाजन में किसी की बुराई नहीं करते ठीक शेष 11 महीने में लोगों को इसी माह की तरह की जिंदगी गुजारनी चाहिए | रमजान को नेकियों का मौसम कहा जाता है । इस माह में हर कोई अधिक से अधिक दुआ कमाना चाहता है ।

आठ साल के फरदीन फिरोज ने रखा पहला रोजा

फुलवारी शरीफ | फरदीन फिरोज अभी महज 8 साल का है इसने आज पहला रोजा रखा है | रमजान के पहले रोजे के दिन ही अपने जीवन के पहला रोजा रखने की जिद पर अड़े फरदीन को उसके परिवार वालों ने काफी मनाने की कोशिश की लेकिन वह पहला रोजा रखने की जिद पर कायम रहा | और मासूम बेटे की जिद और वह भी अल्लाह की इबादत के लिए रोजा रखने की जिद के आगे घर वालों को झुकना पड़ा | फुलवारी शरीफ के बौली मोहल्ला निवासी फिरोज आलम के 8 वर्षीय पुत्र फरदीन फिरोज को पहले रोजे रखने पर उसके पिता माँ और घर के बुजुर्ग सदस्यों ने शाम में इफ्तारी के बाद गिफ्ट देकर हौसला बढाया और अलाह से मासूम की दुआ कबुल करने की गुजारिश भी की | फरदीन के पिता फिरोज आलम जो कि पेशे से मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में मेक्निकल के टीचर है वहीँ उनकी पत्नी का नाम सुल्ताना परवीन है | माँ सुल्ताना और दादा तंजीम अहमद और दादी का नौशाबा खातून अपने छोटे बच्चे के पहले रोजे पूरी करने पर ख़ुशी से फुले नही शमा रहे थे | इसकी खबर पड़ोसियों और रिश्तेदारों में फैली तो हर तरह से बधाईया मिलने लगी | फरदीन के दादा तंजीम अहमद ने बताया की सुबह में जब पहला रोजा रखने के लिए सहरी पर लोग उठे तो फरदीन को सहरी करते देख किसी ने नही सोंचा था की यह रोजा रखेगा लेकिन दिन के पहले पहर तक सोया रहा और जब उठाकर ब्रश करने को कहा गया तो उसने कहा की वह भी रोजा में है तो सभी चौंक गये | काफी मानाने के बाद बाद भी नही माना | दोपहर होते होते हलक सूखने लगी तो रोजा तोड़ने को कहा गया लेकिन दादी की गोद में जाकर सो गया लेकिन रोजा नही तोडा |

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