फूलों की खेती में हो रहा लाखों का नुकसान, लॉक डाउन में नहीं मिल रहे फूलों के खरीदार

फुलवारी शरीफ (अजीत कुमार )। लाॅक डाउन से पहले फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे बगिया में फूल खिलते ही दमक उठते थे, जबकि आज बगिया फूलों से गुलजार है लेकिन बागवानों के चेहरे मुरझाये हुये हैं। फुलवारी शरीफ के जानीपुर इलाके में कई एकड़ में गेंदा फूल खेत में गुलजार हैं लेकिन फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे मुरझाये हुए हैं। बता दें कोरोना वायरस के चलते लगे लॉक डाउन में शादी ब्याह पर ग्रहण लगा हुआ है, मंदिरों के कपाट बंद हैं। ऐसे में न तो शहनाई की गूंज सुनाई दे रही है और न ही कहीं धार्मिक अनुष्ठान ही हो रहे हैं, जिसमें फूलों की बिक्री हो सके। खेतो में महकते लरजते फूलों को रोजी रोटी का साधन बनाने वाले लाखों परिवारों के चूल्हों की आग लाॅक डाउन के चलते ठंडी पड़ी हुयी है। मार्च से ही लॉक डाउन होने के कारण फूल की बिक्री नहीं हो पा रही है। जिससे  बागवानों के चेहरे मुरझाये हुये हैं। भगवान के श्रीचरणों से लेकर दरगाह मजारों के अलावा इत्र, कास्मेटिक्स समेत कई उद्योग धंधों में फूलों की मांग 12 महीने रहती है। लॉकडाउन के दौरान हर किसी के सामने एक बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है। वहीं फूल की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं हैं और आज उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। लॉकडाउन होने के कारण फूल की बिक्री नहीं हो पा रही है। जहां पहले फूल की खेती करने वाले किसान फूल खिलते ही खुश हो जाते थे, वहीं आज जैसे- जैसे फूल खिलता है वैसे-वैसे किसान मुरझाते हुए दिखाई दे रहे हैं। किसानों का दर्द है कि उनकी बगिया में खिले फूल मंडियों तक जाने की बजाय खेत में ही सड़ रहे हैं। बाजार तक फूल जा पाने के कारण किसान अब रूआंसे होकर अपनी फूल की लहलहाती फसल को उजाड़ने की सोंच रहे हैं। पहले फूल की खेती वाले करने वाले किसान फूल से लाखों रुपए का धन कमा लिया करते थे। अब वहीं किसान एक-एक रुपए को मोहताज नजर आ रहे हैं। वह आज इस कगार पर पहुंच गए हैं कि उनके सामने रोजी – रोटी का भारी संकट खड़ा हो गया है। लाखों रूपये लगाकर कई छोटे बड़े गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों के सामने आय के एकमात्र स्रोत अच्छी उपज के बावजूद खरीदारी नहीं होने से भारी नुकसान उठाने के आलावा कोई चारा नही बचा है। मार्च माह में पड़ने वाले नवरात्र में भी पूजा अनुष्ठान धूमधाम से नहीं होने से फूलों की बिक्री नहीं हुई क्योंकि नवरात्र से पहले ही लॉक डाउन की घोषणा हो गई जिससे फूलों का कारोबार नही हो पाया। इसके चलते फूलों की खेती करके ही अपने परिवार की परवरिश करने वाले किसानो के सामने संकट गहराता चला गया। इसमें लाखों का का नुकसान हुआ है। किसान ने बताया कि फूल की खेती तो अच्छी हुई थी लेकिन मंडी में फूल नहीं जा पाने के कारण अब उनकी गेंदा फूल की फसल खेत पर ही सड़ रही है। किसानों ने बताया कि उनका परिवार जो कि फूल की खेती पर ही निर्भर है और सभी लोग फूल की खेती के लिए काम करते हैं। उसी से जो कमाई होती है वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं लेकिन अब फूल की डिमांड बाजार में न होने के कारण उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और उन्हें अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं। किसी ने दस कट्ठे में तो किसी ने एक से डेढ़ बिगहा तो कोई दो बिगहा से अधिक में गेंदा फूलों की खेती कर रखे हैं लेकिन खेत में खिले फूल देखकर भी बागवानों के चेहरे मुरझाये हुए हैं। जानीपुर के मुर्गिया चक में उमेश भगत, दिनेश भगत, नागेश्वर भगत, उपेन्द्र भगत, रंजीत भगत, अरविन्द भगत, अशोक भगत, पप्पू भागत, अनिल भगत सहित दर्जनों किसानों के सामने भूखमरी की नौबत आ गयी है। किसानों ने सरकार से फूलों की बिक्री नहीं होने पर क्षति मुआवजा की मांग की है।

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