JN त्रिवेदी ने किया जातिगत जनगणना का विरोध, कहा- CM बताएं, ऊंची जातियों के कमजोर वर्गों की वास्तविक संख्या की जानकारी कैसे होगी

पटना (संतोष कुमार)। देश में कमजोर, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की वास्तविक संख्या को जानने के लिए जातिगत जनगणना का औचित्य नहीं है, क्योंकि ऊंची जातियों में आर्थिक एवं जीवन स्तर की दृष्टि से अधिकांश कमजोर एवं पिछड़े वर्गों किस श्रेणी में है। जातिगत जनगणना में ऊंची जातियों का एक बड़ा हिस्सा कमजोर एवं पिछडे़ वर्गों के लिए बनने वाली योजनाओं से वंचित हो जाएंगे, जबकि पिछड़ी एवं अतिपिछड़ी जातियों के आर्थिक एवं जीवन स्तर पर विकसित व्यक्तियों को भी योजनाओं का लाभ सुलभ होगा, जो निर्बाध रूप से जारी है। जातिगत जनगणना के विरोध में वसुधैव कुटुंबकम परिषद द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में उक्त आशय का तर्क प्रस्तुत करते हुए परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेएन त्रिवेदी ने कहा।

श्री त्रिवेदी ने कहा कि इन मुद्दों पर ध्यान देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री को तर्क प्रस्तुत करना चाहिए कि जिस कमजोर वर्ग के हित की बात करते हुए वे जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं, उससे ऊंची जातियों के कमजोर वर्गों की वास्तविक संख्या की जानकारी कैसे होगी? जानकारी नहीं होगी तो उनके विकास के लिए उत्तरदायी कौन होगा।
श्री त्रिवेदी ने परिषद की ओर से राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कर्म के आधार पर वर्णगत जनगणना का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि इस प्रकार की जनगणना होने से ही समाज के कमजोर, पिछड़ों एवं अतिपिछड़ों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सकता है। इस प्रकार की जनगणना में वास्तविक जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से कमजोर और पिछड़े वर्गों की संख्या कितनी है। वर्णगत जनसंख्या का लाभ यह होगा कि पिछड़ी जातियों के लिए निर्मित योजनाओं का लाभ शिक्षित, मजबूत एवं समृद्ध लोग नहीं ले पाएंगे। श्री त्रिवेदी ने आगे कहा कि कोरोना काल से आहत जनजीवन के बाद हो रही इस जनगणना को अमल दृष्टिकोण से सोचने-विचारने की जरूरत है, साथ ही परिषद जातिगत जनगणना का विरोध करती है और जरूरत पड़ने पर महात्मा गांधी के आदर्शों पर आधारित आंदोलन के लिए भी विचार करेगी। इस मौके पर परिषद के प्रवक्ता संतोष तिवारी समेत अन्य लोग भी उपस्थित थे।