…. और एनएमसीएच में हो जाती गोरखपुर अस्पताल की पुनर्रावृत्ति, मच गया कोहराम

पटना। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को बड़ा हादसा होने से टल गया। अगर थोड़ा भी देर होता तो गोरखपुर अस्पताल की पुनर्रावृत्ति होने से कोई नहीं रोक सकता था। अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर एक बाद एक खत्म होते जा रहे थे, जबकि 80 बेड मरीजों से भरे थे। इसी बीच आक्सीजन सिलेंडर की 50-50 की दो खेप अस्पताल भेजी गई। तब अस्पताल प्रशासन ने राहत की सांस ली।
अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर एक के बाद एक खत्म होते जा रहे थे। इस बीच अस्पताल प्रबंधक ने फोन कर बताया कि सर केवल सात सिलेंडर बचा है। मेडिसिन विभाग के कोरोना वार्ड में सभी 80 बेड मरीजों से भरा हुआ है। आक्सीजन जेनरेशन प्लांट पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी आक्सीजन सिलेंडर देने के नाम पर संदेह व्यक्त कर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। सर आक्सीजन की व्यवस्था जल्दी कीजिए। वहीं व्यवस्था से परेशान अधीक्षक, प्राचार्य, उपाधीक्षक सभी बेबस नजर आ रहे थे। शनिवार की सुबह आठ बजे ही एनएमसीएच में कोहराम मचा था। अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कई अधिकारियों को फोन किया। सर प्लीज आक्सीजन किसी भी क्षण खत्म हो सकता है। इन्हें डर था कि ऐसा हुआ तो गोरखपुर अस्पताल की पुनर्रावृत्ति हो सकती है। लाशें गिनना मुश्किल हो जाएगा।
काफी जतन के बाद राहत वाली खबर मिली कि एनएमसीएच के लिए 50-50 सिलेंडर की दो खेप आक्सीजन भेजी गई है। सुबह दस बजे से शिशु रोग विभाग में अध्यक्ष के नाते अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने डॉक्टरों के साथ आक्सीजन को लेकर मंथन किया। फिर 11:30 बजे से अधीक्षक के नाते अधीक्षक कक्ष में बैठे प्राचार्य डॉ. हीरा लाल महतो, अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह, उपाधीक्षक डॉ. गोपाल कृष्ण, उपाधीक्षक डॉ. सरोज कुमार, अस्पताल प्रबंधक प्रणव कुमार व अन्य के साथ परेशान दिखे।
