BIHAR : DRE क्षेत्र में 36,738 करोड़ के निवेश और 1.71 लाख नए रोजगार की संभावनाएं

- सीड की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड युग में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के विस्तार से सशक्त बनेगा बिहार
पटना। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) के सहयोग से पटना के होटल मौर्या में आयोजित स्टेकहोल्डर्स कांफ्रेंस में एक रिपोर्ट “एम्पॉवरिंग बिहार थ्रू डीआरई इन द पोस्ट-कोविड वर्ल्ड” का विमोचन किया। बिहार में कोविड महामारी के दुष्प्रभावों और रिवर्स माइग्रेशन की वजह से जूझ रही अर्थव्यवस्था में आर्थिक रफ़्तार तेज करना और नए रोजगार सृजन की व्यवस्था करना बड़ी चुनौतियां हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए और इनके समाधान में राज्य सरकार के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य से सीड ने यह डेवलपमेंट रोडमैप रिपोर्ट तैयार की है, जो राज्य की विकास नीतियों के केंद्र में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी-डीआरई) समाधानों को रखने पर जोर देता है। डीआरई अर्थव्यवस्था के प्रमुख सेक्टर्स का पुनरुद्धार करते हुए सभी कार्यक्रमों एवं योजनाओं को बेहतर करने और लोगों तक इसके लाभ पहुंचाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उक्त बातें अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने कहा।
अर्थव्यवस्था की समस्या का कर सकता है समाधान
उन्होंने कहा कि सीड द्वारा तैयार अपनी तरह की पहली इस रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि अकेले डीआरई बिहार की अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्याओं का समाधान कर सकता है। जैसे राज्य के डीआरई क्षेत्र में 36,738 करोड़ के निवेश की संभावना है और यह 1,71,210 नए रोजगार पैदा कर सकता है। रिपोर्ट का यह भी आकलन है कि डीआरई सेक्टर में 3948 मेगावाट की संभावना है, जहां दस प्रमुख सरकारी विभाग (जैसे ऊर्जा, कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, जल संसाधन, उद्योग, शिक्षा, नगर विकास, सार्वजनिक कार्य, पथ निर्माण एवं परिवहन आदि) कुल डीआरई संभावना के 95% हिस्से को पूरा करने में योगदान कर सकते हैं। इसके अलावा डीआरई समाधानों से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। यह राज्य में 73,10, 636 टन सालाना कार्बन उत्सर्जन बचा सकता है और पर्यावरण संबंधी कई फायदे ला सकता है।

श्रमिकों के पलायन का भी कर सकता है समाधान
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से संकेत करती है कि अकेले डीआरई आर्थिक विकास में तेजी लाकर और स्थानीय स्तर पर नई नौकरियों का सृजन करके धीमी अर्थव्यवस्था और श्रमिकों के पलायन जैसी समस्याओं का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकता है। अगर राज्य सरकार तत्काल नीतिगत स्तर पर सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में डीआरई प्लिकेशन्स को शामिल करती है तो इससे विभागों के कामों एवं परिणामों में बेहतर सुधार देखने को मिलेगा।
डीआरई प्लिकेशन्स का राज्यव्यापी विस्तार आवश्यक
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार जैसे विकासशील राज्य में स्वच्छ ऊर्जा उपलब्धता के जरिए लोगों की आर्थिक-सामाजिक जिदगी में सकारात्मक बदलाव लाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए डीआरई बेहद प्रासंगिक है। बिहार सरकार ने इस दिशा में कई सराहनीय प्रयास किये हैं, जिनसे ग्रामीण इलाकों में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। हालांकि कोविड महामारी के व्यापक असर को देखते हुए डीआरई प्लिकेशन्स का राज्यव्यापी विस्तार बेहद आवश्यक है, जिससे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार एक समर्थनकारी परिवेश निर्मित करे
इस अवसर पर बीआईए के वाईस प्रेसिडेंट संजय भरतिया ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे स्थानीय स्तर पर सोलर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री और सहायक इकाइयों की स्थापना को समुचित उचित प्रोत्साहन देने के लिए एक समर्थनकारी परिवेश निर्मित करे। एक स्पष्ट विजन पर आधारित सभी स्टेकहोल्डर्स के क्षमता निर्माण और जनजागरूकता कार्यक्रम के जरिए बिहार में आर्थिक समृद्धि लाई जा सकती है।
इस बात पर सर्वसम्मति बनी
कांफ्रेंस में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि राज्य सरकार की नीतियों के केंद्र में डीआरई को रखा जाना चाहिए। डीआरई आधारित नीतियां आर्थिक समृद्धि को सुनिश्चित करेंगी और लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन में ऊर्जा एवं आजीविका सुरक्षा के जरिये बेहतर बदलाव लाएगी।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में शुभेंदु गोस्वामी, हस्क पावर सिस्टम; राकेश प्रताप, एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड; अनूप अग्रवाल, दुदवा पावर लिमिटेड; अमित आनंद, क्लारो एनर्जी; उषा झा, अध्यक्ष, बिहार महिला उद्योग संघ; इंदु अग्रवाल; धीरज सिंह, जैन इरीगेशन; रेखा कुमारी, कौशल्या फाउंडेशन सहित प्रमुख सरकारी विभागों कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा, लोक निर्माण और ग्रामीण विकास के प्रतिनिधि मौजूद थे।