December 7, 2025

BIHAR : 2040 तक कार्बन तटस्थ प्राप्त करने का लक्ष्य, ईंट भट्ठों के मुकाबले फलाई ऐश ईंट निर्माण इकाईयां काफी कम

पटना। राज्य में विकास की प्रक्रिया व आर्थिक प्रगति की संभावनाओं के कारण ग्रीन हाउस गैसों में होने वाली अप्रत्याशित वृद्वि के मद्देनजर राज्य को 2040 तक कार्बन तटस्थ करने का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से राज्य पर्षद् द्वारा डेवलपमेंट अल्टरनोटिव्स, नई दिल्ली तथा शक्ति सस्टेनेवल इनर्जी पफाउन्डेशन, नई दिल्ली के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता हस्ताक्षरित किया गया है। इस समझौते के तहत राज्य पर्षद्, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स व शक्ति सस्टेनेबल इनर्जी फाउन्डेशन द्वारा निर्माण क्षेत्रों में कार्बन तटस्थता हेतु यह अध्ययन किया जायेगा।
इस अध्ययन पर चर्चा करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लेते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि लाल-ईंटों के निर्माण में न्यून कार्बन तकनीकी के माध्यम से गत 7 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्बन के उत्सर्जन में कमी लाई गयी है। लाल ईंटों के विकल्प के रूप में राज्य में फलाई-ऐश ईंटों के निर्माण हेतु हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। करीब 250 ऐसी इकाईयां उत्पादन में हैं, जहां से गुणवत्तापूर्ण ईंटों का निर्माण किया जा रहा है। इन ईंटों को सरकारी क्षेत्र के निर्माण में, विशेषकर भवन निर्माण विभाग द्वारा काफी उपयोग किया जा रहा है। फिर भी करीब 5000 से 6000 लाल ईंट भट्ठों के मुकाबले करीब 250 फलाई ऐश ईंट निर्माण इकाईयां काफी कम हैं। निजी क्षेत्रों के निर्माण क्षेत्र में इसके उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में कार्बन के उत्सर्जन के स्तर को ज्ञात कर भविष्य में इसकी संभावित वृद्वि का आकलन कर इसे नियंत्रित करने हेतु अध्ययन के लिए किये गये समझौते से राज्य को 2040 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य प्राप्त करने में काफी सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य में अगले वर्ष के अंत तक 35 से 40 तक सतत वायु गुणवत्ता प्रबोधन केन्द्रों को स्थापित करने का प्रयास है, जिससे परिवेशीय वायु गुणवत्ता का आकलन व इसके नियंत्रण हेतु रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए पर्षद् के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष ने अपने संबोधन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण पाना अब दूर नहीं है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि तीनों पक्षों के सद्प्रयासों से यह अध्ययन 2040 तक निर्माण क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन तटस्थता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स, नई दिल्ली के वाइस प्रेसिंडेंट, डॉ सौमेन मैती ने अपने संबोधन में बताया कि संभवत: विश्व का यह पहला उदाहरण होगा, जहां 2040 तक निर्माण क्षेत्र में कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए अध्ययन किया जायेगा। यद्यपि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, फिर भी हम अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रति आशावान हैं। डॉ. मैती ने बताया कि अध्ययन के पश्चात इसकी अनुशंसाओं के कार्यान्वयन के दौरान भी हम प्रक्रिया का अनुश्रवण करते रहेंगे ताकि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को सफलता पूर्व प्राप्त किया जा सके। डॉ. मैती ने बताया शक्ति सस्टेनेबल इनर्जी फाउंडेशन द्वारा इस चुनौतिपूर्ण कार्य को परिणति तक पहुंचाने हेतु राज्य सरकार व डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के हरसंभव सहायता देने का वादा किया गया है।
वहीं फाउन्डेशन के मुख्य कार्यपालक पदाध्किारी डॉ. अंशु भारद्वाज ने बताया कि यह एक महत्वाकांक्षी व ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने बताया कि यह अध्ययन देश के अन्य राज्यों के लिए एक रोल मॉडल होगा। उन्होंने बताया कि विश्व के अनेक देश जिनकी उर्जा की जरूरतें जीवाश्म ईंधन से दूर होती थी, अब कार्बन न्यूट्रल उर्जा की ओर अग्रसर हंै। उन्होंने बताया कि सौर उर्जा का न्यूनतम दर 2 रूपये प्रति किलोवाट प्रति घंटा तक हो गया है, जो अन्य स्रोंतों से प्राप्त उर्जा से काफी कम व प्रदूषण रहित है।
कार्यक्रम के समापन पर पर्षद् के सदस्य-सचिव एस.चन्द्रशेखर द्वारा आगत अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन किया।

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