भाजपा ने प्रशांत किशोर के खिलाफ साइबर थाने में दर्ज कराई शिकायत, फर्जी फेसबुक पेज का मामला

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बार सियासी विवाद का केंद्र बने हैं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर। भाजपा ने उनके खिलाफ साइबर क्राइम थाने में गंभीर आरोपों के साथ शिकायत दर्ज कराई है, जिससे राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
भाजपा का आरोप: प्रचार के लिए फर्जी पेज का इस्तेमाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मुताबिक, प्रशांत किशोर या उनके समर्थकों द्वारा भाजपा के नाम और प्रतीक चिह्न का दुरुपयोग करते हुए कई फर्जी फेसबुक पेज बनाए गए हैं। इन पेजों के माध्यम से प्रशांत किशोर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और भाजपा की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि यह केवल एक पेज तक सीमित नहीं है, बल्कि एक दर्जन से ज्यादा ऐसे पेज सक्रिय हैं, जिनमें पार्टी विरोधी और भ्रामक बातें फैलाई जा रही हैं।
राजनीतिक अनुशासन और आचार संहिता का उल्लंघन
भाजपा ने इस घटना को राजनीतिक अनुशासन और चुनावी आचार संहिता का खुला उल्लंघन बताया है। पार्टी का कहना है कि सोशल मीडिया का इस तरह से दुरुपयोग न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा है। भाजपा ने साफ किया है कि अगर यह फर्जी पेज तुरंत नहीं हटाए गए तो कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल
पार्टी नेताओं का मानना है कि इस तरह की हरकतें चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करती हैं। फर्जी पेजों के जरिए लोगों को भ्रमित करना और राजनीतिक माहौल को प्रभावित करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। ऐसे मामलों पर समय रहते कड़ी कार्रवाई जरूरी है ताकि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सकें।
प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल इस मामले पर प्रशांत किशोर या उनकी टीम की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी चुनावों में भाजपा और प्रशांत किशोर के बीच टकराव को और गहरा कर सकता है। प्रशांत किशोर के बढ़ते प्रभाव और उनकी राजनीतिक सक्रियता को भाजपा एक चुनौती के रूप में देख रही है।
नजरें टिकी हैं आगे की कार्रवाई पर
यह मामला अब केवल आरोप-प्रत्यारोप का नहीं रहा, बल्कि साइबर कानून और चुनावी नियमों के दायरे में जांच का विषय बन गया है। जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजर अब इस पर टिकी है कि साइबर पुलिस जांच में क्या निष्कर्ष निकालती है और भाजपा इस मामले को किस हद तक ले जाती है। बिहार की राजनीति में यह विवाद चुनावी समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है।

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