बिहार के 120 नए नगर निकायों में महंगी हुई बिजली, शहरी दर से करना होगा भुगतान, उपभोक्ताओं का खर्च बढ़ा

पटना। बिहार सरकार द्वारा हाल ही में गठित किए गए 120 नए नगर निकायों में अब बिजली उपभोक्ताओं को ग्रामीण की बजाय शहरी दर पर बिल चुकाना होगा। यह बदलाव जहां एक ओर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलने की भी उम्मीद है। यह फैसला राज्य में शहरीकरण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
अब ग्रामीण दर नहीं, शहरी दर से भुगतान
अब तक इन नवगठित नगर निकायों में उपभोक्ता ग्रामीण दरों पर बिजली का उपयोग कर रहे थे। लेकिन नए नियमों के तहत अब उन्हें शहरी दरों पर भुगतान करना होगा, जिससे प्रति यूनिट बिजली की कीमत में लगभग ₹1.67 की वृद्धि हो जाएगी। यानी उपभोक्ताओं का मासिक खर्च बढ़ना तय है, खासकर उन परिवारों के लिए जिनकी खपत अधिक है।
बढ़ेगा खर्च, लेकिन मिलेगी बेहतर सेवा
हालांकि बिजली दर में वृद्धि उपभोक्ताओं के लिए एक आर्थिक चुनौती हो सकती है, लेकिन इसके साथ ही कई सुविधाएं भी दी जाएंगी जो अब तक केवल पूर्ण रूप से शहरी क्षेत्रों में मिलती थीं। इनमें चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति, शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए कंट्रोल रूम की उपलब्धता, ट्रांसफार्मर खराब होने पर 24 घंटे के भीतर उसका बदलाव जैसी सेवाएं शामिल हैं। इसके अलावा अब इन क्षेत्रों में निगरानी और सेवा वितरण की गुणवत्ता में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है।
सेवा में बदलाव की दिशा में बड़ा कदम
यह फैसला केवल बिजली दर में बदलाव नहीं है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की सेवा असमानता को कम करने की दिशा में भी प्रयास है। कई वर्षों से यह योजना कागजों पर थी, लेकिन अब इसे व्यवहार में लागू करने की शुरुआत हो चुकी है। मुख्य रूप से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग बिलिंग सॉफ्टवेयर, एक ही फीडर से कई इलाकों को बिजली आपूर्ति और स्पष्ट निर्देशों की कमी जैसे कारणों से इसे अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका था।
अब सख्ती से लागू होगी नई व्यवस्था
बिजली कंपनी ने अब स्पष्ट कर दिया है कि जैसे ही कोई क्षेत्र नगर निकाय घोषित होगा, वहाँ शहरी दरें तत्काल प्रभाव से लागू की जाएंगी। इससे पहले नगर विकास विभाग तो नगर निकाय बनने के साथ ही होल्डिंग टैक्स और अन्य कर वसूलने लगता था, लेकिन बिजली कंपनी की ओर से इसमें देर होती थी। यह नई नीति अब इस विसंगति को समाप्त करेगी।
शहरी उपभोक्ताओं की संख्या अभी भी सीमित
बिहार में कुल 2.13 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं में से मात्र 5 प्रतिशत शहरी घरेलू उपभोक्ता हैं। 2024-25 में इनकी संख्या लगभग 31.48 लाख रही। उत्तर बिहार में 14.45 लाख और दक्षिण बिहार में 16.59 लाख शहरी उपभोक्ता हैं। जबकि ग्रामीण उपभोक्ता कुल का लगभग 50 प्रतिशत हैं, और बीपीएल व कुटीर ज्योति उपभोक्ता लगभग 30 प्रतिशत हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बिहार में शहरीकरण अभी भी सीमित है, लेकिन नई नीति से इस प्रक्रिया को गति मिल सकती है।
लंबी अवधि में लाभदायक साबित हो सकता है यह कदम
हालांकि तत्काल प्रभाव में उपभोक्ताओं को कुछ असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह कदम बिजली सेवा की गुणवत्ता, जवाबदेही और नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में कारगर हो सकता है। यदि बिजली कंपनी समय पर सेवाएं देने की अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाती है, तो यह निर्णय बिहार के शहरीकरण और प्रशासनिक पारदर्शिता को नई दिशा दे सकता है।

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