बिहार में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर परीक्षा पेपर लीक, 35 लोग हिरासत में, परीक्षा रद्द

पटना। बिहार में एक बार फिर परीक्षा तंत्र की कमजोरी उजागर हुई है। इस बार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया है। इस गड़बड़ी के कारण समिति ने 1 दिसंबर को आयोजित परीक्षा को रद्द कर दिया है और 2 दिसंबर की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। पेपर लीक के इस मामले में 35 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
सॉल्वर गैंग की साजिश उजागर
पेपर लीक की यह घटना सॉल्वर गैंग की सुनियोजित साजिश को उजागर करती है। जानकारी के अनुसार, इस गैंग ने पूरे परीक्षा केंद्र को ही अपने नियंत्रण में ले लिया था। परीक्षा को मैनेज करने के लिए यह गैंग आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग कर रहा था। पटना एसएसपी को गुप्त सूचना मिली थी कि स्वास्थ्य समिति की इस परीक्षा में अनियमितता हो रही है। सूचना मिलते ही पटना पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई ने संयुक्त रूप से विशेष टीम का गठन कर छापेमारी की।
छापेमारी में बड़ा खुलासा
छापेमारी के दौरान पुलिस ने 35 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें सॉल्वर गैंग के सदस्यों के अलावा परीक्षा में गड़बड़ी में शामिल अन्य लोग भी शामिल हैं। पुलिस ने मौके से कई **इलेक्ट्रॉनिक उपकरण** और अन्य संदिग्ध सामग्री भी जब्त की है। इनमें मोबाइल फोन, ब्लूटूथ डिवाइस, और अन्य गड़बड़ी में उपयोग किए जाने वाले उपकरण शामिल हैं। हिरासत में लिए गए सभी व्यक्तियों से गहन पूछताछ की जा रही है, ताकि इस साजिश के पीछे के मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके।
परीक्षा रद्द और भविष्य की कार्रवाई
राज्य स्वास्थ्य समिति ने पेपर लीक की घटना की पुष्टि करते हुए **1 दिसंबर की परीक्षा को रद्द** कर दिया और 2 दिसंबर की परीक्षा को स्थगित कर दिया। समिति ने कहा कि मामले की जांच के बाद नई तारीखों की घोषणा की जाएगी। इस घटना ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उम्मीदवारों के भविष्य को भी अनिश्चित बना दिया है।
पेपर लीक की घटनाओं की पुनरावृत्ति
बिहार में पेपर लीक और परीक्षा में अनियमितताओं की घटनाएं नई नहीं हैं। हाल के वर्षों में, ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जो राज्य की परीक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और साजिशों की ओर इशारा करते हैं। इस बार भी सॉल्वर गैंग की सक्रियता ने साबित कर दिया कि परीक्षा तंत्र में गंभीर खामियां हैं।
पुलिस की भूमिका और कार्रवाई
पटना पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए छापेमारी की और बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया। पुलिस के अनुसार, यह सॉल्वर गैंग काफी संगठित तरीके से काम कर रहा था और इसके तार राज्य के बाहर तक जुड़े हो सकते हैं। पटना पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि छापेमारी के दौरान बरामद उपकरणों की जांच की जा रही है। इनमें कई ऐसे उपकरण हैं, जिनका उपयोग पेपर के सवालों के उत्तर देने और परीक्षा केंद्रों में गड़बड़ी करने के लिए किया जाता था। इसके अलावा, पुलिस ने हिरासत में लिए गए लोगों के फोन कॉल डिटेल और अन्य डिजिटल साक्ष्य भी खंगालना शुरू कर दिया है।
उम्मीदवारों का गुस्सा और हताशा
पेपर लीक की इस घटना से हजारों उम्मीदवारों में नाराजगी और हताशा है। परीक्षा की तैयारी में महीनों का समय और मेहनत लगाने के बाद उम्मीदवार अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कई उम्मीदवारों ने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
भ्रष्टाचार पर सवाल
यह घटना न केवल परीक्षा तंत्र की विफलता को उजागर करती है, बल्कि इसमें शामिल बड़े नेटवर्क की ओर भी इशारा करती है। यह समझना जरूरी है कि जब तक ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी सजा नहीं दी जाएगी, तब तक इस प्रकार की घटनाएं रुकेंगी नहीं। बिहार में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर परीक्षा का पेपर लीक होना एक गंभीर समस्या है, जो परीक्षा तंत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। प्रशासन को न केवल इस घटना की गहन जांच करनी चाहिए, बल्कि परीक्षा प्रक्रिया को मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। उम्मीदवारों के भविष्य और मेहनत की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाए और परीक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जाए।

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