उपचुनाव को लेकर नीतीश ने 28 को बुलाई एनडीए की बैठक, नेताओं के साथ आगामी रणनीति पर करेंगे चर्चा

पटना। बिहार की राजनीति में विधानसभा उपचुनाव की हलचल तेज हो गई है। राज्य की चार महत्वपूर्ण सीटों रामगढ़, तरारी, बेलागंज, और इमामगंज पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है। इस उपचुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है, खासकर जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए की एक बड़ी बैठक 28 अक्टूबर को बुलाकर इस चुनाव के लिए रणनीति बनाने की घोषणा की है।
उपचुनाव की आवश्यकता और राजनीतिक स्थिति
इन चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव इसलिए हो रहे हैं क्योंकि यहां के विधायकों के पद रिक्त हो गए थे। उपचुनावों में अब तक तीन सीटें महागठबंधन के कब्जे में थीं, जबकि एक सीट एनडीए के पास थी। महागठबंधन की मुख्य पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), इन सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जोर-शोर से जुटी हुई है। वहीं, एनडीए की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) इस उपचुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। इस चुनाव में चारों सीटों पर कुल 51 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें से 9 महिलाएं भी शामिल हैं। नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, और अब सभी प्रत्याशी प्रचार कार्य में जुट गए हैं। इन चार सीटों में बेलागंज में सबसे ज्यादा 17 उम्मीदवार हैं, जबकि तरारी में 14, इमामगंज में 11, और रामगढ़ में 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
उपचुनाव में उम्मीदवारों की स्थिति
रामगढ़ में राजद ने अजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा की ओर से अशोक सिंह चुनाव मैदान में हैं। वहीं जनसुराज पार्टी ने सुनील कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। वही बेलागंज में राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ कुमार सिंह हैं, जदयू से मनोरमा देवी चुनाव लड़ रही हैं, और जनसुराज पार्टी की ओर से मोहम्मद अमजद मैदान में हैं। इमामगंज में राजद ने रौशन कुमार उर्फ राजेश मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया है। हम पार्टी से दीपा मांझी और जनसुराज से डॉ. जितेन्द्र पासवान भी मैदान में हैं। तरारी में यहां सीपीआई (एमएल) के राजू यादव, भाजपा के विशाल प्रशांत और जनसुराज की किरण सिंह आमने-सामने हैं। इन प्रमुख उम्मीदवारों के साथ-साथ इन सीटों पर अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।
रणनीतिक बैठक और राजनीतिक महत्त्व
नीतीश कुमार ने एनडीए के सभी नेताओं के साथ 28 अक्टूबर को होने वाली बैठक बुलाई है। यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें उपचुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देने के साथ-साथ विभिन्न उम्मीदवारों के प्रचार और समर्थन के लिए योजना बनाई जाएगी। एनडीए का प्रयास होगा कि वह अपनी वर्तमान स्थिति को मजबूत करे और इमामगंज जैसी सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखे, जबकि महागठबंधन उन सीटों पर जीत दर्ज करना चाह रहा है जहां पहले से उसका वर्चस्व है। नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एनडीए की इस बैठक में प्रचार अभियान, उम्मीदवारों की प्राथमिकताएं और सीटों के समीकरण पर चर्चा की जाएगी।
मतदान और मतगणना की तिथियां
इस उपचुनाव के मतदान की तिथि 13 नवंबर निर्धारित की गई है, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी। नामांकन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर को की जाएगी, और पर्चा वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर निर्धारित की गई है। मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 13 नवंबर को चुनाव वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस दिन का वेतन सहित अवकाश घोषित किया है ताकि लोग मतदान में हिस्सा ले सकें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त बना सकें। बिहार में विधानसभा उपचुनावों की यह प्रक्रिया एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए अहम है। यह चुनाव एक तरह से 2025 के विधानसभा चुनावों का पूर्वाभ्यास भी है, क्योंकि ये चुनावी नतीजे पार्टियों की भविष्य की रणनीति को तय करेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन के नेता इस चुनावी जंग में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। एनडीए ने नीतीश कुमार की अगुआई में 28 अक्टूबर को होने वाली बैठक में अपनी योजनाओं को और धार देने की तैयारी कर ली है। देखना होगा कि 13 नवंबर को बिहार के मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं और किसके पक्ष में ये सीटें जाती हैं।

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