पटना में शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशकों का प्रदर्शन, जदयू कार्यालय का किया घेराव, जमकर की नारेबाजी

पटना। राजधानी के पटना में शुक्रवार को सरकारी स्कूलों के शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशकों ने सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी जताते हुए जदयू कार्यालय का घेराव किया। ये शिक्षक अपने वेतन और सुविधाओं में वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। हाथों में तख्तियां लेकर और नारों के साथ सैकड़ों शिक्षकों ने जदयू कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से उनकी मांगों पर ध्यान देने की गुजारिश की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वर्तमान में वे केवल 8,000 रुपये प्रति माह के वेतन पर कार्य कर रहे हैं, जिससे वे अपने परिवार का पालन-पोषण करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। बिहार के इन शिक्षकों का कहना है कि उनकी भूमिका समाज में महत्वपूर्ण है, विशेषकर खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए। राज्य में शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक 2022 में बहाल हुए थे और उन्होंने उम्मीद की थी कि वेतनमान और अन्य सुविधाएं समय के साथ सुधरेंगी। हालांकि, वेतन में किसी तरह की वृद्धि न होने के कारण अब वे निराश महसूस कर रहे हैं। शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पंचायत स्तर पर क्लब बनाए जा रहे हैं, परंतु उन क्लबों में शारीरिक शिक्षकों का योगदान बिना किसी सराहना और उचित वेतन के चल रहा है। शिक्षकों का कहना है कि नियोजित शिक्षकों की तरह ही उन्हें भी राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि उनकी स्थिति और बेहतर हो सके। बिहार के अन्य सरकारी कर्मचारी जहां राज्यकर्मी के दर्जे से लाभान्वित होते हैं, वहीं शारीरिक शिक्षक और स्वास्थ्य अनुदेशक इससे वंचित हैं। उनका कहना है कि पूरे देश में इस प्रकार की अनियमितता कहीं और देखने को नहीं मिलती है, और उनके साथ जो अन्याय हो रहा है, वह कहीं और नहीं हो रहा। प्रदर्शन में शामिल एक शिक्षक, निर्भय कुमार, ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें इतनी कम सैलरी मिलती है कि वे अपने परिवार के सामने जाने में या किसी को वेतन का विवरण बताने में भी शर्म महसूस करते हैं। इन शिक्षकों का मानना है कि इतनी कम आय में उनके लिए एक महीने का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। वे अपने परिवार और बच्चों के सामने आर्थिक तंगी के कारण सिर झुकाने को मजबूर हैं। प्रदर्शनकारियों में से एक शिक्षक ने बताया कि, “हम लोगों को इतने कम वेतन के कारण घर और समाज में ताने सुनने पड़ते हैं। घर में हमारे बीवी-बच्चे हमें इसी बात पर ताना मारते हैं कि इतना कम वेतन लेकर हम कैसे गुजारा करेंगे।” इन शिक्षकों का मानना है कि वे राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा रहे हैं, परंतु राज्य की ओर से उन्हें उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। प्रदर्शन के दौरान कई शिक्षकों ने यह भी कहा कि उन्हें आशा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके इस आंदोलन पर ध्यान देंगे। उनका मानना है कि राज्य में खेल गतिविधियों और शारीरिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी प्रयासरत है, लेकिन बिना शारीरिक शिक्षकों के यह संभव नहीं है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अगर सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान दे और उनके वेतनमान में वृद्धि करे, तो वे अपने कर्तव्यों को और भी बेहतर तरीके से निभा सकते हैं। इस प्रकार के प्रदर्शन यह दर्शाते हैं कि राज्य में शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों के प्रति उचित ध्यान और उनका सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा करती है तो यह न केवल इन शिक्षकों का हौसला बढ़ाएगा, बल्कि राज्य में खेलों को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध होगा। साथ ही, यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करेगी कि कैसे शारीरिक शिक्षा और खेलों को प्राथमिकता देकर समाज को स्वस्थ और सशक्त बनाया जा सकता है।

You may have missed