प्रदेश में अनुबंध पर चल रही 150 से अधिक बसों के परिचालन पर लगी रोक, यात्रियों की बढ़ी परेशानी

पटना। बिहार में त्योहारों के मौसम में अचानक बस सेवाओं के बंद होने से आम जनता को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (बीएसआरटीसी) द्वारा अनुबंध पर चल रही 150 से अधिक बसों का परिचालन रोक दिए जाने से यात्रियों के लिए लंबी दूरी की यात्रा करना मुश्किल हो गया है। इस फैसले से न सिर्फ यात्री प्रभावित हुए हैं, बल्कि व्यापार और वाणिज्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस विवाद की जड़ में बीएसआरटीसी द्वारा अनुबंधित बस मालिकों से लिए जाने वाले टैक्स में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। परिवहन निगम ने इन बसों से अधिक कर वसूलने का निर्णय लिया था, जिसका बस मालिकों ने विरोध किया। बस मालिकों का तर्क है कि पहले से ही उनके ऊपर करों का भारी बोझ है, और अगर नए कर प्रस्ताव को लागू किया गया, तो उनके लिए इस व्यवसाय को जारी रखना मुश्किल हो जाएगा। इस कर विवाद के चलते बीएसआरटीसी ने अनुबंध पर चल रही बसों का परिचालन रोक दिया है। यह मामला फिलहाल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और न्यायालय का फैसला आने तक बसों का परिचालन बंद रहेगा। बस मालिकों और बीएसआरटीसी दोनों ही पक्ष न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। बस मालिकों को उम्मीद है कि अदालत उनके पक्ष में निर्णय देगी, जबकि परिवहन निगम अपनी कर वसूली नीति को सही ठहरा रहा है। ट्रांसपोर्ट सेवाओं के अचानक बंद हो जाने से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है, खासकर त्योहारों के इस व्यस्त समय में। बिहार में दशहरा, दीपावली और छठ पूजा के मौके पर भारी संख्या में लोग अपने घरों को लौटते हैं, लेकिन बस सेवाओं के बंद होने से यह प्रक्रिया काफी मुश्किल हो गई है। विशेष रूप से लंबी दूरी की यात्राओं के लिए लोग अब विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन सीमित ट्रेन सेवाएं और निजी वाहनों की कमी ने उनकी समस्याओं को और बढ़ा दिया है। पटना से सासाराम, बिहारशरीफ, राजगीर, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, और मोतीहारी जैसे कई प्रमुख मार्गों पर बस सेवाएं ठप हो गई हैं। दिल्ली, काठमांडू, जनकपुर जैसे अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के लिए भी बस सेवाएं प्रभावित हुई हैं, जिससे यात्रियों को वैकल्पिक यात्रा साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है। बस सेवाओं के बंद होने का प्रभाव सिर्फ यात्रियों पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि यह बिहार के व्यापार और वाणिज्य पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है। बिहार में त्योहारों के समय व्यापारिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं, और बसों के माध्यम से माल और सेवाओं की आवाजाही सुचारु रूप से होती है। बस सेवाओं के बंद हो जाने से व्यापारिक संस्थान समय पर अपने माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं, जिससे छोटे और मध्यम व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है। सड़कों पर अचानक से वाहनों की संख्या बढ़ गई है, जिससे यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हो गई है। निजी वाहनों का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन यह विकल्प भी सभी के लिए सुलभ नहीं है। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई है, जहां बस सेवाएं ही परिवहन का मुख्य साधन हैं। बस सेवाओं की बहाली के लिए सभी की निगाहें अब उच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं। यात्री उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द यह विवाद सुलझ जाएगा, ताकि त्योहारों के समय उन्हें यात्रा संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े। वहीं, बीएसआरटीसी और बस मालिकों के बीच कर को लेकर समझौता होने की भी संभावना है, जिससे यह विवाद जल्द खत्म हो सकता है। अगर अदालत बस मालिकों के पक्ष में फैसला देती है, तो बसें पुनः संचालित होने लगेंगी और लोगों को राहत मिलेगी। दूसरी ओर, अगर परिवहन निगम का पक्ष मजबूत रहता है, तो बस मालिकों को बढ़े हुए कर के साथ अपनी सेवाएं बहाल करनी होंगी। बिहार में त्योहारों के इस व्यस्त समय में अनुबंधित बस सेवाओं का ठप हो जाना एक बड़ी समस्या बन गई है। इससे न सिर्फ यात्री प्रभावित हुए हैं, बल्कि व्यापार और यातायात व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त हो गई है। इस मामले का हल अब पूरी तरह से न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करता है, और सभी को उम्मीद है कि यह विवाद जल्द सुलझ जाएगा, ताकि त्योहारों का उत्साह बिना किसी बाधा के जारी रह सके।
