PATNA : पाटलिपुत्र स्टेशन से जीआरपी ने 51 जिंदा कछुओं को किया बरामद, तस्कर मौके से फरार

पटना। दानापुर के पाटलिपुत्र स्टेशन में रेल थाने की पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पाटलिपुत्र रेल थाने की पुलिस ने रूटीन चेकिंग के दौरान मंगलवार देर रात को पाटलिपुत्र स्टेशन के प्लेटफार्म चार पर खड़ी गाड़ी संख्या 12506 डाउन नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस स्लिपर कोच से कछुआ बरामद किया है। एस 3 व एस 2 के ज्वांइट पर एक थैले में से दो बड़े कछुए और एक जूट के बोरे में से 51 जिंदा कछुओं को बरामद किया गया है। हालांकि इस दौरान तस्कर अपनी पहचान छुपाने में सफल रहा और मौके से फरार हो गया। रेल पुलिस ने थाने में अज्ञात तस्करों के विरुद्ध मामला दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई शुरू कर दी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि तस्करों के द्वारा कछुए को पाटलिपुत्र के रास्ते कहीं दूर भेजने की तैयारी थी। लेकिन पाटलिपुत्र रेल पुलिस के द्वारा तस्करों के मंसूबों पर पानी फेर दिया गया। वहीं रेल थाने की पुलिस ने बताया है कि यह अभियान लगातार जारी है। लगातार सभी ट्रेनों का पाटलिपुत्र जंक्शन पर रूटिंग चेकिंग किया जाता है। थानाध्यक्ष विनोद राम ने बताया कि बरामद जिंदा कछुआ को वन विभाग को सौंपने के लिए प्रक्रिया की जा रही है।

वही, इस संबध में पटना वन प्रमंडल के प्रभारी डीएफओ शशिकांत ने बताया कि रेल पुलिस वन प्रमंडल को कछुआ सौंप दिया गया है। संरक्षण के उद्देश्य से पटना वन प्रमंडल ने इसे राजधानी जलाशय में छोड़ दिया। पटना वन प्रमंडल के पटना पश्चिम अंचल के रेंज आफिसर संजीव कुमार ने बताया कि कछुए को गुवाहाटी से लेकर तस्कर जा रहे थे। रेल पुलिस की तरफ से मंगलवार की सुबह आठ बजे सूचना मिली, जिसके बाद वन प्रमंडल की टीम कछुए को अपने संरक्षण में रख लिया। संजय गांधी जैविक उद्यान के रेंज आफिसर आनंद कुमार ने बताया कि बिहार के सभी क्षेत्र में कछुए मिलते हैं। बिहार के रास्ते गुवाहाटी या कोलकाता तस्करी के लिए कछुआ ले जाया जाता है। वही एक्सपर्ट बताते हैं कि गंगा नदी में पाया जाने वाला कछुआ दुर्लभ प्रजाति का होता है। जिसको विभिन्न स्थानों पर तस्कर भेजते हैं। कछुओं की मीट और हड्डी को अलग-अलग करने की व्यवस्था की जाती है। फिर इसकी विदेश में मांग के अनुसार सप्लाई होती है। इसका गैंग पूरे देश में फैला है। वही कछुओं की तस्करी कर ज्यादातर विदेश भेजने के मामले सामने आते हैं। इसके पीछे का बड़ा कारण कछुए की हड्डी और मांस से बनने वाली दवाइयां हैं। सर्वाधिक आयु तक जीवित रहने वाले कछुए की तस्करी ज्यादा की जाती है। इसके बोन्स और मीट का प्रयोग शक्तवर्धक दवाइयों को बनाने में किया जाता है। इसलिए प्रशासन की ओर से कछुओं को बचाने के लिए लगातार रेड किया जा रहा है।

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