अश्लेषा नक्षत्र में सावन की तीसरी सोमवारी कल, कुंवारों के लिए है खास

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  • शिव-पार्वती की होगी पूजा, बरसेगी उमा-महेश्वर की कृपा

पटना। कल सावन शुक्ल प्रतिपदा को सावन का तीसरा और शुक्ल पक्ष का पहला सोमवार पर अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग का युग्म संयोग पड़ रहा है। श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगे। अपनी कामनाओं की पूर्ति हेतु विविध पदार्थों से शिवार्चन कर स्तुति पाठ भी किया जायेगा। कोरोना संक्रमण से रोकथाम के लिए सरकार द्वारा फिलहाल सभी मंदिर, शिवालय एवं अन्य धार्मिक स्थलों को बंद रखा गया है, इसके बावजूद भक्तों का उत्साह अपने आराध्य देव को लेकर चरम पर है। मंदिरों में जनकल्याण की सुख-समृद्धि के लिए केवल पुजारी ही पूजा अनुष्ठान कर रहे हैं और संध्या बेला में अलौकिक शिव श्रृंगार कर विशेष आरती मंगल हो रहा है।
अश्लेषा नक्षत्र व वरीयान योग का युग्म संयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने विभिन्न पंचांगों के हवाले से बताया कि सोमवार को शुक्ल पक्ष का पहला सोमवारी अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग में पड़ रहा है। इस नक्षत्र के स्वामी सर्प होते हैं, वही वरीयान का अर्थ है अपेक्षाकृत श्रेष्ठ। इस योग में किया गया कार्य निर्विघ्न सफल होता है। कल महादेव की पूजा के बाद स्तुति व प्रार्थना करने से स्वास्थ्य लाभ तथा मनोरथ पूर्ण होंगे। भगवान शिव की भक्ति इस योग में करने से आपके आसपास कभी नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
कुंवारों के लिए खास
पंडित झा के मुताबिक इस सोमवारी कुंवारों के लिए खास संयोग है शिव की सच्चे मन से पूजा करने से उनका विवाह शीघ्र हो जायेगा। जलाभिषेक, रुद्री पाठ तथा ॐ नम: शिवाय का जाप करने से शिव जी मनचाहा वरदान भी देंगे। जो विवाहित है उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस सोमवारी पर रुद्राभिषेक, शिवसहस्रनाम, शिव पंचाक्षर, शिव महिम्न, रुद्राष्टक, शिव कवच तथा शिव तांडव स्त्रोत्र का 108 बार पाठ करने से दरिद्रता का ह्रास और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
मनोकामना पूर्ति के लिए शिव को करें ये अर्पित
पुत्र प्राप्ति के लिए : दूध व घी से अभिषेक तथा धतूरे का फूल
दीर्घायु : अकावन की फूल
सुख प्राप्ति : हरसिंगार का पुष्प
शत्रु नाश : घी व सरसो तेल से अभिषेक तथा कुसुम का फूल
सुयोग्य पत्नी : बेला का फूल
मोक्ष प्राप्ति : आक, अलसी या समीपत्र
लक्ष्मी प्राप्ति : दूध व ईख रस से अभिषेक तथा शंख पुष्प

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