BIHAR : सत्याग्रह करने को मजबूर 20 हजार से अधिक स्कूल संचालक, मांगा स्पेशल पैकेज

पटना। कोरोना संक्रमण के कारण बीते 9 माह से बिहार के स्कूलों में ताले लटके हैं। स्कूल बंद होने के कारण स्कूल संचालकों को फीस नहीं आ रही है, जिसके कारण हर माह कर्ज की रकम भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब स्कूल संचालक सत्याग्रह करने को मजबूर हैं। बुधवार को बिहार के 38 जिलों के 20 हजार स्कूलों के संचालकों ने एक दिवसीय सत्याग्रह कर सरकार से स्पेशल पैकेज की मांग की। स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार से मदद मिलेगी, तभी वह अभिभावकों को राहत दे सकेंगे।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के बिहार प्रदेश के सभी 38 जिलों में संगठन से जुड़े निजी विद्यालय के हजारों डायरेक्टर एवं प्रिंसिपल ने बुधवार को अपने-अपने जिलों में एक दिवसीय शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर जिलाधिकारी को 8 सूत्री ज्ञापन सौंपा। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद श्मायल अहमद ने कहा कि निजी विद्यालय संचालकों ने विद्या के मंदिर में ताला लगने से बचाने की सरकार से मांग करते हुए केंद्र सरकार के आदेश का हवाला देते हुए जल्द से जल्द विद्यालयों को भौतिक रूप से संचालित कराने की मांग की है। वेतन के अतिरिक्त विद्यालय के अन्य आवश्यक मासिक खर्चों में भवन का ऋण, भवन का किराया, बैंक की किस्त, मेंटेनेंस आधारित खर्चे, गाड़ियों की ईएमआई, बिजली का बिल, इसके अलावा सभी व्यावसायिक टैक्स जिसमें कोई छूट नहीं दी गई है, वे सभी शामिल हैं। प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधक, शिक्षक एवं कर्मचारी अत्यंत मानसिक तनाव में हैं। यह जानलेवा हो रहा है। मांग की गई है कि कोरोना अवधि में हर तरह के टैक्स की राशि को माफ किया जाए। इसके अलावा बिजली का बिल, ट्रांसपोर्ट टैक्स, वाहनों का बीमा भी माफ किया जाए। सैयद श्मायल अहमद ने कहा है कि जब तक यह मांग नहीं मानी जाएगी, गार्जियंस को राहत नहीं मिल पाएगी।

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