बिहार में नए राजनीतिक समीकरण बनने की आहट, महागठबंधन में उठे सवाल

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में अभी से ही नए राजनीतिक समीकरण बनने की आहट महसूस होने लगी है। बिहार में पहली बार अपनी पार्टी के खुले खाते से उत्साहित असदुद्दीन ओवैसी जय भीम और जय मीम के फार्मूले पर एक नया मोर्चा बनाने की तैयारी में जुट गई हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ किशनगंज में मंच साझा करने वाले हैं।
मांझी देंगे ओवैसी का साथ : असदुद्दीन ओवैसी ने 29 दिसंबर को किशनगंज में एक रैली करने की घोषणा की है जिसमें नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ जनता को संबोधित करेंगे। इस रैली में उनका साथ महागठबंधन में शामिल जीतनराम मांझी भी देंगे। इतना नहीं मांझी ने तो तेजस्वी यादव को भी इस रैली में चलने को बोला है। बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने विधानसभा उपचुनाव में किशनगंज की सीट पर जीत दर्ज की थी। इस जीत के बाद पार्टी बिहार में पांव पसारने की फिराक में है।
जो करेगा सीएए और एनआरसी का विरोध, मांझी देंगे साथ : वहीं हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि जो भी नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध करेगा, हम उसके साथ हैं, लेकिन महागठबंधन में रहते हुए मांझी के ओवैसी के साथ मंच पर जाने को लेकर सवाल भी उठने शुरू हो गया हैं।
राजद ने दी सलाह, कांग्रेस है नाराज : पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा का मानना है कि बीजेपी और ओवैसी दो धारी तलवार हैं और मैं तो मांझी जी से यही कहूंगा कि आपके ऐसा करने से बीजेपी ही मजबूत होगी। वहीं, जीतनराम मांझी के इस फैसले से कांग्रेस भी नाराज है।
जदयू बोला- मांझी अपने स्वार्थ के लिए कहीं भी जा सकते हैं : इस बीच जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि मांझी अपने स्वार्थ के लिए कहीं भी आ-जा सकते हैं। वैसे जहां एनआरसी का विरोध हो रहा है वहां जीतन राम मांझी को जाने की जरूरत नहीं है और बिहार में तो एनआरसी का विरोध करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कह दिया है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा।

About Post Author

You may have missed