‘बात पानी की’ के जरिए जल को बचाने की अपील

खगौल। हर शनिवार नुक्कड़ संवाद श्रृंखला की नई कड़ी में सदा लोक मंच ने उदय कुमार लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘बात पानी की’ का प्रदर्शन किया। दानापुर रेलवे स्टेशन के पास गीत ‘जल बिना है सब जग सुना, कह गए कई ज्ञानी-ध्यानी, बर्बाद इसे जो करोगे संकट में पड़ेगी जिंदगानी, जल संचय का स्रोत बढ़ाए, चलो अपनी धरा को सजाए’से नाटक की शुरूआत हुई। नाटक में पानी का महत्व बताते हुए इसके संरक्षण, सदुपयोग करने का संदेश दिया गया। दिखाया गया कि जाने-अनजाने कई लोग पानी का दुरुपयोग कर रहे हैं तो कई लोग पानी को बर्बाद होता देख कर भी अनदेखा कर देते हैं। धरती के अंदर पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। वर्षा जल के संरक्षण के स्रोत कम होते जा रहे हैं। भू-जल स्तर के लगातार नीचे जाने से घोर जल संकट उत्पन्न हो गया है। नाटक में जल संकट से परेशान पात्र अपनी व्यथा सुनाते हैं और दर्शकों के समक्ष पानी की बर्बादी के कई दृश्य दर्शाते हैं। जल बर्बादी के कारण को दर्शाते हुए जल संकट की भयावहता से भी आगाह करते हैं। साथ ही अपनी आदतों में सुधार लाकर, जल संरक्षण के छोटे छोटे उपाय अपनाकर पानी को बचाने की अपील की। अंत में कवि रहीम की पंक्ति रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन, पानी गए न उबरे, मोती मानुस चुन। कलाकारों में पल्लवी प्रियदर्शिनी, अनिल सिंह, सुमन कुमार, त्रिभुवन यादव, उदय कुमार, शिवम कुमार, राजीव रंजन त्रिपाठी, भोला सिंह, प्रमोद सोनी, अनिल कुमार, सूरज कुमार आदि शामिल थे।

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