पूर्व सांसद सुभाषिणी अली बोली, काम का अधिकार महिलाओं के लिए दिवास्वप्न बना, विचार करने की जरूरत

पटना। आज हमें अपने देश और बिहार में महिलाओं की स्थिति पर विचार करने की जरूरत है। ऐसा लगता है कि महिला आंदोलन द्वारा जीते गये तमाम अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है। काम का अधिकार आज महिलाओं के लिए एक दिवास्वप्न बन गया है। जो काम उनको मिलता था, अब वह भी छिन गया है। सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नौकरियां समाप्त हो रही हैं, उद्योग खुलने के बजाय बंद किये जा रहे हैं। कोरोना काल में महिलाओं को ही सबसे बड़ा धक्का लगा है। उक्त बातें पटना के सीपीआईएम कार्यालय स्थित सभागार में सोमवार को पोलित ब्यूरो सदस्य एवं पूर्व सांसद सुभाषिणी अली सहगल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा।
फिर फुकनी और चूल्हे का सहारा
उन्होंने कहा कि सरकार कहती है, एक करोड़ से अधिक महिलाएं इस दौर में बेरोजगार हो गयी हैं। मनरेगा जैसा काम, घरों मे मिलने वाला काम, यह भी उनको नहीं मिल रहा है। घर चलाना दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है। खाने-पीने का सामान बहुत तेजी के साथ महंगा होता जा रहा है, खाना पकाने का सिलेंडर तो अब गरीब महिलाओं के हाथ के बाहर ही हो गया है और वह फिर फुकनी और चूल्हे के सहारे हो गयी हैं।
अत्याचार की घटनाएं बहुत बढ़ी
उन्होंने कहा कि महिलाओं पर होने वाली हिंसा ने तमाम हदों को पार कर दिया है। निश्चित तौर पर सरकारी नीतियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बिहार में बहुत कम महिलाएं अत्याचार के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने को तैयार होती हैं, अत्याचार की घटनाएं बहुत बढ़ रही हैं। पटना अब बहुत ही असुरक्षित हो गया है और हर दूसरे-तीसरे दिन यहां एक बलात्कार होता है। इसके साथ ही, महिलाओं को जिंदा जला देने की घटनाएं भी बहुत बढ़ी हैं।
42 प्रतिशत लड़कियों की शादियां कानूनी उम्र से पहले
उन्होंने कहा कि बिहार में 42 प्रतिशत लड़कियों की शादियां कानूनी उम्र से पहले हो जाती हैं। एनएफएचएस 4 के अनुसार, बिहार के 11 जिले शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा, बेगूसराय, खगड़िया, शेखपुरा, गया, नवादा, जमुई में दो में से एक लड़की की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। बेगूसराय, गया, नवादा, जमुई मे 30 प्रतिशत शादियां लड़कियों के 16 साल तक पहुंचने से पहले हो जाती है, जो बहुत ही चिंता का विषय है।
23 मार्च को प्रतिरोध कार्यक्रम
उन्होंने बताया कि आगामी 23 मार्च भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव की शहादत दिवस के अवसर पर किसान बचाओ-देश बचाओ नारे के साथ किसान, महिलाएं, छात्र, नौजवान शहीदों की शहादत को याद करते हुए प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित करेंगे। 12-13 मार्च को राज्य कमिटी की बैठक में अगामी संघर्ष की विस्तृत रूप-रेखा तैयार की जायेगी।

About Post Author

You may have missed