‘ज्ञान की शक्ति से बेटी होगी बलवान’ में बाल कलाकारों ने दिखाया बेटी का अभिमान

फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच (एसएसएम) के कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं निर्देशित महिलाओं के विरुद्ध हो रहे हिंसा पर आधारित “ज्ञान की शक्ति से बेटी होगी बलवान” की प्रस्तुति वाल्मी, फुलवारीशरीफ में सौरभ राज के स्वरबद्ध गीत- खिलती हुई कलियां है हमारी बेटियां, मां-बाप का दर्द समझती हैं हमारी बेटियां, घर को रोशन करती है बेटियां, लड़के आज हैं तो आने वाला कल है बेटियां… से हुई।
गर्भ में पल रही बेटी कहती है… पापा, तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो… मां को आखिर किस गलती की सजा दे रहे हो… पापा, मुझे आने दो…, मैं भी जीना चाहती हूं…, उड़ना चाहती हूं… यह कथन था 9 वर्ष की शांभवी की, जो अपने अंदाज में भ्रूण हत्या का विरोध कर रही थी। वह कहती है, मां अपने जिगर के टुकड़े को अपने पास रखना चाह रही थी परंतु पति के जिद के आगे वह बेबस और लाचार होकर याचना करती है कि ऐसा अपराध नहीं कीजिए। अपनी सोच को बदलिए तो गुस्से में डांटते हुए पति उसे कहता है कि आए दिन देश के अंदर लड़कियों के साथ किस तरह की घटना घट रही है, यह सब देख रही हो न। इस डर से मेरा कलेजा कांपने लगता है तब पत्नी कहती है कि लड़की के प्रति विचारधारा में बदलाव लाना होगा तथा बेटों में अच्छा संस्कार पैदा करने की जरूरत है, तभी बेटियों के विरुद्ध हो रहे हिंसा को रोका जा सकता है। पति कहता है कि तुम ठीक कह रही हो, आज के हर युवा-पीढ़ी का यह कर्तव्य बनता है कि अपने देश के अंदर दहेज प्रथा के कारण हत्या, महिला उत्पीड़न, बलात्कार और गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध को कैसे रोका जा सके।
बेटी हर घर की लक्ष्मी का वरदान और धरती का भगवान होती है, इसलिए जन्म देने के लिए मां का होना जरूरी है तभी भाइयों के कलाइयों पर राखी बंधेगी। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो वंश चलाने के लिए पत्नी कहां से आएगी, अगर बेटी नहीं रहेगी तो यह संसार कैसे चलेगा। पति-पत्नी दोनों हाथ मिलाकर कहते हैं कि ज्ञान की शक्ति से ही हमारी बेटी? होगी बलवान।
नाटक के कलाकार : महेश चौधरी, मोनिका, सौरभ राज,अमन, आर्यन प्रमोद, करण, सांभवी, माही, प्रीति, हर्ष, आशीष, वैभव, प्रकाश मणि, जगत नारायण भट्ट थे।

About Post Author

You may have missed