जदयू का राजद पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष, कहा- बिहार में का बा? ना सड़क पर गड्ढा बा, आउ ना किडनैपिंग गिरोह के भरमार बा….

पटना। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता ने राजद शासनकाल पर व्यंग्य किया है। कहते हैं आप गाते हो ना कि बिहार में का बा?। आप तो व्यंग्य करते हो। लेकिन मैं आपके साथ यह कहता हूं कि बिहार में का बा? का बा? का बा? सही में ऊ सब नइखे जे विपक्ष चाह ता। उन वर्षों में जो बिहार ने झेला था वो सब तो अब कहीं दिखता ही नहीं है। ऊ सभे त बिल्कुल अब ना बा। ना जंगलराज बा, आउ ना ही अंधकार बा। अब तो चहुंओर चकाचक सड़क बा। बड़का-बड़का गड्ढा ना बा। अब गड्ढा में रेंगत गाड़ी भी ना बा। आउरो ऊ नेशनल हाइवे के बड़का गड्ढा के बगल में राज्य सरकार के ऊ बोर्ड, कौन बोर्ड, यह सड़क भारत सरकार के अधीन है, अब ना बा। यही नहीं, ज्यादातर गाड़ी के खिड़की से बाहर निकलल दू-चार गो राइफल के नाल अब ना बा। उनके राज-पाट में हर जिले में दो-चार किडनैपर गैंग होते थे। एक से बढ़कर एक फिल्म की स्क्रीप्ट लायक घटनाएं होती थी। ऊ सब अब बिल्कुल ना बा। पहले गांव-गांव में दारू और पियक्कड़ का अंबार था, अब ऊ सब भी ना बा। तब का बा। कुछ बा बोलीं ई बिहार में। पहले मार-काट और नरसंहार था। मगध का पूरा इलाका दहशत में कराहता था। अब ना बा। अब शांति बा, तरक्की बा।
पहले पूरा बिहार में अंधकार था। बिजली के नाम पर सिर्फ खिलवाड़ था। अब 23 घंटा से ज्यादे के सप्लाई बा। पहले घर-घर पेयजल के लिए हाहाकार था। अब घरे-घरे नल के जल बा। पहले बेतिया और बगहा के जंगलों के कई इलाके यूनिवर्सिटी आॅफ क्राइम के नाम से बदनाम था। दस्यु गिरोहों का सरकार था। उहां अब ऊ सब गिरोह ना बा। तो का बा। अब उहां जंगल और सफारी बा। पर्यटक के लिये स्वर्ग जइसन नजारा बा। एही नीतीश कुमार के बिहार बा। न्याय के साथ विकास बा। सुशासन के सरकार बा और अपराधियों पर कानून के मार बा। बुझा गइल ना कि बिहार में अमन और शांति पसंद जनता के सरकार बा। सब ओर नीतीशे कुमार बा।

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